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लोहरदगा लोकसभा सीट पर 65% वोटिंग, अब 23 मई को मतगणना

झारखंड की लोहरदगा लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को वोटिंग हुई. इस सीट पर लगातार दो बार से बीजेपी जीत रही है. बीजेपी ने तीसरी बार सांसद सुदर्शन भगत को लोहरदगा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. अब 23 मई की मतगणना के बाद चुनाव के नतीजे जारी किए जाएंगे.

मतदान के लिए कतार में लगी महिलाएं मतदान के लिए कतार में लगी महिलाएं
टीके श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

झारखंड के लोहरदगा लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को चौथे चरण में मतदान हुए. इस सीट पर कुल 64.88 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. इस चरण में 9 राज्यों की 71 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले गए और 64.85 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया. अब 23 मई को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के नतीजे जारी किए जाएंगे. वहीं, 23 अप्रैल को शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए. पूरे इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई.

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इस सीट से पिछले दो बार से लगातार बीजेपी जीतती आ रही है. अब बीजेपी ने यहां से तीसरी बार सांसद सुदर्शन भगत को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस के टिकट से सुखदेव भगत चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार भी यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की उम्मीद है, जबकि कुल 14 उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के रामेश्वर ओरेन को करीबी मुकाबले में हराया था. सुदर्शन भगत को करीब 2 लाख 26 हजार और रामेश्वर ओरेन को लगभग 2 लाख 20 हजार वोट मिले थे. पिछली बार इस सीट पर करीब 58 फीसदी मतदान हुआ था.

लोहरदगा सील झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट रांची, गुमला और लोहरदगा जिले में फैली हुई है. यह पूरा इलाका भी रेड कॉरिडोर का हिस्सा है. अभी तक लोहरदगा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती रही है. पिछले दो चुनाव से बीजेपी के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं. वो मोदी सरकार में मंत्री भी हैं.

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लोहरदगा सीट पर अनुसूचित जनजाति का खास दबदबा है. अपने समृद्ध खनिज भंडार जैसे बॉक्साइट और लेटराइट के कारण यह इलाका प्रसिद्ध है. हालांकि खनिज भंडार के बावजूद इसकी पहचान आर्थिक रूप से पिछड़े इलाके में होती है. इस लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीट आती हैं. यह सभी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

साल 1962 में इस सीट पर कांग्रेस के डेविड मुंजिन जीते थे. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर कार्तिक ओरेन लगातार दो बार (1967 और 1971) चुनाव जीते थे.  हालांकि साल 1977 का चुनाव कार्तिक हार गए थे और जनता पार्टी लालू ओरेन जीतने में कामयाब हुए थे. साल 1980 में कार्तिक ओरेन ने फिर इस सीट पर जीत दर्ज की. साल 1984 और 1989 में कांग्रेस के टिकट पर सुमति ओरेन जीते थे.

साल 1991 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और उसके प्रत्याशी ललित ओरेन जीते थे. साल 1996 में भी ललित ओरेन ने जीत दर्ज कर थी और भगवा पताका फहराया था. साल 1998 में कांग्रेस के इंद्र नाथ भगत जीतने में कामयाब हुए थे. साल 1999 में बीजेपी के दुखा भगत जीते थे. साल 2004 में कांग्रेस के रामेश्वर ओरेन जीते थे. इसके बाद साल 2009 और 2014 का चुनाव बीजेपी के सुदर्शन भगत जीते थे.

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लोहरदगा लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति की तादात करीब 2.69 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की तादात करीब 64.04 फीसदी है. इस सीट की 96 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 11.19 लाख है, जिसमें से 5.78 लाख पुरुष और 5.40 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.

इस लोकसभा सीट के तहत मान्डर, गुमला, लोहरदगा, सिसई और बिशुनपुर विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने तीन सीटों (मान्डर, गुमला, सिसई), झामुमो ने एक सीट (बिशुनपुर) और आजसु पार्टी (लोहरदगा) पर जीत दर्ज की थी.

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