Advertisement

बिहार में जातीय गुणा-गणित, NDA का 3 सूत्री फॉर्मूला Vs महागठबंधन का MY+ समीकरण

भले ही लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तमाम पार्टियां एनडीए और महागठबंधन के दो खेमों में बंट गई हों लेकिन सियासी गुणा-गणित, सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में सबसे बड़ा फैक्टर इस बार भी जाति ही दिख रहा है.

तेजस्वी यादव तेजस्वी यादव
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:22 AM IST

चुनाव, बिहार और जाति फैक्टर- ये तीनों एक-दूसरे के पर्याय हों जैसे. बिहार में चुनाव हो और जातिय गणित की बात न हो ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता. भले ही लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तमाम पार्टियां एनडीए और महागठबंधन के दो खेमों में बंट गई हों लेकिन सियासी गुणा-गणित, सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में सबसे बड़ा फैक्टर इस बार भी जाति ही दिख रहा है. जाति पर आधारित राजनीति के चलते खेमों के अंदर खेमे और खेमों के खिलाफ खेमे खड़े होते दिख रहे हैं.

Advertisement

बिहार में ढाई सौ से भी अधिक जातियां-उपजातियां हैं. राज्य की 40 लोकसभा सीटों की लड़ाई में उतरे तमाम दलों ने आबादी और सीटों के गणित के हिसाब से टिकट बांटे हैं या उम्मीदवार उतारे हैं.

किस पार्टी से किस जाति को कितने टिकट?

एनडीए बिहार की 40 सीटों में से 39 पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुका है. जबकि महागठबंधन अभी तक 33 उम्मीदवारों के नाम तय कर पाया है. एनडीए ने 'सामान्य वर्ग' के 13 लोगों को टिकट दिया है. इनमें से 7 राजपूत समुदाय से, 3 भूमिहार जाति से, दो ब्राह्मण और एक उम्मीदवार कायस्थ जाति से है. 12 उम्मीदवार ओबीसी समुदाय से हैं. जिसमें 5 यादव, 3 कुशवाहा, 3 वैश्य और एक कुर्मी जाति से है. अति पिछड़ा वर्ग के 7 उम्मीदवार हैं, जिनमें धानुक, केवट, गंगेयी, गोंसाई, निषाद, गंगोता और चन्द्रवंशी के एक-एक उम्मीदवार हैं. 6 दलित उम्मीदवार हैं, जिनमें 4 पासवान जबकि रविवास और मुसहर जाति के 1-1 उम्मीदवार हैं.

Advertisement

वहीं, महागठबंधन का जातिय गणित कुछ अलग है. आरजेडी एम-वाई समीकरण यानी लालू के पुराने यादव-मुस्लिम फॉर्मूले पर फोकस किए हुए हैं. आरजेडी ने अपने खाते की 19 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जिनमें से सबसे ज्यादा 8 यादव, 4 मुस्लिम, 3 राजपूत, 2 दलित और 1 सीट पर अतिपिछड़ा उम्मीदवार उतारा है. वहीं कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से पटना से शत्रुघ्न सिन्हा(कायस्थ). पूर्णिया से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह, कटिहार से तारिक अनवर को मौका दिया है. रालोसपा ने अभी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है. लेकिन उम्मीदवारी के सामाजिक समीकरण का खुलासा कर दिया है. रालोसपा का कहना है कि पश्चिमी चंपारण से कुशवाहा, पूर्वी चंपारण से सवर्ण, काराकाट से कुशवाहा, जमुई से अनुसूचित जाति और उजियारपुर से कुशवाहा समुदाय के लोगों को टिकट दिया जाएगा.

बिहार में किस जाति की क्या है ताकत?

जाति आधारित राजनीति के लिए मशहूर बिहार में अगर वोट की जातिगत ताकत पर गौर करें तो सबसे ज्यादा आबादी ओबीसी समुदाय की है- 51 फीसदी. 14.4% यादव समुदाय, कुशवाहा यानी कोइरी 6.4%, कुर्मी 4% हैं. दलित 16 फीसदी हैं. सवर्णों की आबादी 17% है जिनमें से भूमिहार 4.7%, ब्राह्मण 5.7%, राजपूत 5.2% और कायस्थ 1.5% हैं. राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी 16.9% है.

Advertisement

एनडीए का तीन सूत्री फॉर्मूला

एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में शामिल दलों के अपने-अपने हिसाब हैं जातिय वोटों को लेकर. एनडीए में शामिल हैं- बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी. एनडीए को अपने तीन सूत्री फॉर्मूले पर भरोसा है यानी तीन दल तीन अलग-अलग समीकरणों को साधेंगे. बीजेपी की सवर्ण वोटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसी तरह यादव वोटों को साधने के लिए भी बीजेपी फ्रंट फुट पर खेल रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय यादव समुदाय से आते हैं. बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव भी इसी समुदाय से आते हैं. लालू की अनुपस्थिति में आरजेडी वोटों को साधने पर बीजेपी ने फोकस किया है. जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू की कुर्मी समुदाय और पसमांदा मुस्लिमों में अच्छी पैठ है. वहीं रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी दलितों की सियासत करती है.

आरजेडी का एम-वाई समीकरण+कांग्रेस का सवर्ण दांव

एनडीए के मुकाबले के लिए उतरे महागठबंधन का भी अपना जातिय गणित है. महागठबंधन में 5 दल शामिल हैं- आरजेडी, कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी और जीतनराम मांझी की हम. आरजेडी यादव वोटों पर पकड़ रखती है. हालांकि लालू यादव के जेल में होने के कारण तेजस्वी पर सारा दारोमदार है. कांग्रेस सवर्ण वोटों पर फोकस किए हुए है. मल्लाह वोटों पर मुकेश सहनी, कोइरी यानी कुशवाहा वोटों पर उपेंद्र कुशवाहा दावेदारी पेश कर रहे हैं जबकि दलित वोटों को साधने के लिए जीतनराम मांझी मैदान में हैं.

Advertisement

14 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवारों में सीधा मुकाबला

जातिय वोटों का दांव देखिए कि राज्य की 40 में 14 सीटों पर तमाम दलों ने एक ही जाति के उम्मीदवारों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है. ये सीटे हैं-

1. पाटलिपुत्र: बीजेपी के रामकृपाल यादव Vs आरजेडी की मीसा भारती(दोनों यादव)

2. पटना साहिब: बीजेपी के रविशंकर प्रसाद Vs कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा(दोनों कायस्थ)

3. गया: हम के जीतन राम मांझी Vs जेडीयू के विजय कुमार मांझी(दलित)

4. बेगूसराय: बीजेपी के गिरिराज सिंह Vs सीपीआई के कन्हैया कुमार(भूमिहार)

5. भागलपुर: आरजेडी के बुलो मंडल Vs जेडीयू के अजय कुमार मंडल(गंगोता)

6. गोपालगंज: आरजेडी के सुरेन्द्र राम उर्फ महंत जी Vs जेडीयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन(दलित)

7. मधेपुरा: आरजेडी के शरद यादव Vs जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव(यादव)

8. वैशाली: आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह Vs एलजेपी की वीणा सिंह(राजपूत)

9. महाराजगंज: बीजेपी के जनार्दन सिंह सीग्रीवाल Vs आरजेडी के रणधीर सिंह(राजपूत)

10. मुंगेर: जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह Vs कांग्रेस की संभावित प्रत्याशी नीलम देवी(भूमिहार)

11. काराकाट: जेडीयू के महाबली सिंह Vs रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा(कुशवाहा)

12. मुजफ्फरपुर: बीजेपी के अजय निषाद Vs वीआईपी पार्टी के राजभूषण चौधरी(मल्लाह)

13. बांका:  जेडीयू के गिरिधारी यादव Vs आरजेडी के जयप्रकाश नारायण यादव(यादव)

Advertisement

14. किशनगंज: कांग्रेस के मो. जावेद Vs जेडीयू के महमूद अशरफ(अल्पसंख्यक)

मुस्लिम वोटों का गणित

राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी 16.9% है. मुस्लिम उम्मीदवारों की बात करें तो महागठबंधन ने जहां 5 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं तो वहीं एनडीए की ओर से जेडीयू ने किशनगंज से महमूद अशरफ को उम्मीदवार बनाया है.

पसमांदा मुस्लिमों पर नजर

महागठबंधन मोदी विरोध के नाम पर मुस्लिम वोटों पर नजर गड़ाए हुए है लेकिन पसमांदा मुस्लिमों की नाराजगी उसे भारी पड़ सकती है. बिहार के मुसलमानों में से 60 फीसदी से अधिक पसमांदा वर्ग से आते हैं. इसके बावजूद, महागठबंधन के उम्मीदवारों की सूची में एक भी पसमांदा नाम नहीं है. जबकि पिछले कार्यकाल में नीतीश कुमार ने आरक्षण की व्यवस्था कर पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में किया था.

जानें, बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर कब कहां है चुनाव-

पहला चरण- 11 अप्रैल- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई.

दूसरा चरण- 18 अप्रैल- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका.

तीसरा चरण- 23 अप्रैल- झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया.

चौथा चरण- 29 अप्रैल- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर.

पांचवां चरण- 6 मई- सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर.

छठा चरण- 12 मई- वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज.

Advertisement

सातवां चरण- 19 मई- पटना साहिब ,नालंदा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, जहानाबाद, काराकाट.

मतगणना- 23 मई 2019.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement