अब घाटे में चल रही कंपनियों को बंद करना आसान होगा. सरकार द्वारा पेश किया गया बैंकरप्सी कोड लोकसभा में पास हो गया है. माना जा रहा है कि इस बिल के आने से जहां नई कंपनी खोलने के नियम आसान होंगे वहीं, बैंक आसानी से लोन रिकवरी भी कर सकेंगे.
जानें दस बड़ी बातें
आपको बता दें कि बैंकरप्सी बिल पिछले महीने 27 अप्रैल को संसद में पेश किया गया था अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. आइए आपको बताते हैं इस बिल की 10 बड़ी बातें-
- नए बैंकरप्सी बिल के मुताबिक, किसी कंपनी को बंद करने के बारे में 180 दिन के भीतर फैसला लेना होगा. इसके लिए 75 फीसदी कर्जदाताओं की सहमति जरूरी होगी और इस बिल से कर्जदाताओं को पैसा वसूलने में आसानी होगी.
- बैंकरप्सी और इन्सॉल्वेंसी बिल पर संसदीय कमेटी ने सिफारिश की है कि दिवालिया होने पर कंपनी की संपत्ति पर पहला हक कर्मचारियों का होना चाहिए.
- कमेटी द्वारा यह भी सिफारिश की गई है कि संपत्ति बेचने से आने वाली रकम से पहले कर्मचारियों की बकाया सैलरी का भुगतान किया जाना चाहिए.
- दिवालिया हो चुकी कंपनी की विदेशी संपत्ति भी बेचने की छूट होगी, संपत्ति बेचने वाली शर्त भारत में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों पर भी लागू होनी चाहिए.
- कंपनी की संपत्ति बेचने की लिए एक्सपर्ट्स की खास टीम बनाई जाएगी जो मैनेजमेंट की जगह लेगी. फास्ट ट्रैक अप्लीकेशन को 90 दिन में निपटाना होगा.
- नए कानून में घाटे से जूझ रही कंपनी का रिवाइवल करना इकलौता विकल्प नहीं होगा. इसके लिए दूसरे कदम भी उठाए जाने के प्रावधान हैं.
- नए बैंकरप्सी बिल में इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स का नेटवर्क स्थापित करने की एक निश्चित समयसीमा का प्रावधान है. इससे बैंकरप्सी से जुड़े मामलों को निपटाने में अदालतों का बोझ कम होगा और समय भी बचेगा.
- नए बिल से किसी कंपनी को आधिकारिक तौर पर समाप्त किया जा सकेगा और रजिस्टर्ड इन्सॉल्वेंसी प्रैक्टिसनर का नया सिस्टम शुरू होगा.
- नए बिल के प्रावधान में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) बनाना भी शामिल है.
- यह बिल पुराने ऑब्सोलेट बैंकरप्सी कानूनों को रिप्लेस करेगा.