
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ब्राह्मणों को लेकर दिए गए बयान की गैर सरकारी संगठनों ने कड़ी निंदा की है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) राजस्थान ने लोकसभा स्पीकर के बयान पर गहरी नाराजगी जाहिर की है, और कहा है कि वे इस मामले की शिकायत राष्ट्रपति से करेंगे.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान के कोटा में अखिल ब्राह्मण महासभा में हिस्सा लेने के बाद एक ट्वीट किया है, जिसकी आलोचना की जा रही है. एक वक्तव्य जारी कर पीयूसीएल ने मांग की है कि लोकसभा अध्यक्ष ब्राह्मणों के बारे में दिए गए बयान वाले ट्वीट को वापस लें.
पीयूसीएल राजस्थान द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि, "हमारे देश की संसद के एक सदन, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला जो, कि एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं, ने कोटा में 8 सितंबर 2019 को ब्राह्मण महासभा की बैठक के बाद ट्वीट किया कि समाज में ब्राह्मणों का हमेशा से उच्च स्थान रहा है ये स्थान उनकी त्याग, तपस्या का परिणाम है, यही वजह है कि ब्राह्मण समाज हमेशा से मार्गदर्शक की भूमिका में रहा है, इस बयान की हम कड़ी निंदा करते हैं. किसी भी समाज का वर्चस्व स्थापित करना या एक समाज को दूसरे समाज के ऊपर घोषित करना संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है, यह एक तरीके से अन्य जातियों को हीन दृष्टि की भावना देता है और जातिवाद का बढ़ावा देता है."
पीयूसीएल राजस्थान ने कहा है कि वे स्पीकर के इस ट्वीट को राष्ट्रपति के पास ले जाएंगे. पीयूसीएल राजस्थान ने कहा, "एक व्यक्ति संवैधानिक पद पर रहते हुए इस तरह का वक्तव्य सार्वजनिक रूप से कैसे दे सकता है. पीयूसीएल इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा करता है और माननीय लोकसभा अध्यक्ष से यह बयान वापस लेने की मांग करता है, साथ ही देश के महामहिम राष्ट्रपति को भी इसकी शिकायत भेजी जाएगी."
बता दें कि कांग्रेस ने भी लोकसभा स्पीकर के इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है. कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि जाति के आधार पर किसी को छोटा-बड़ा घोषित नहीं किया जा सकता है. एक व्यक्ति जाति और जन्म के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर श्रेष्ठ होता है. पुनिया ने कहा कि लोकसभा स्पीकर का बयान गलत मानसिकता का नतीजा है, और लोग योग्यता से प्रेरणास्त्रोत बनते हैं न की जाति से.