
विजय माल्या मामले में लंदन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट जनवरी में विजय माल्या पर फैसला सुना सकता है. वहीं, विजय माल्या पर दायर दिवालिया घोषित होने की याचिका खारिज भी हो सकती है या यह याचिका रद्द की जा सकती है या जब तक भारतीय सुप्रीम कोर्ट में माल्या के सेटेलमेंट ऑफर पर सहमति नहीं बन जाती तब तक यह याचिका स्थगित भी की जा सकती है. इस मामले में यूके कोर्ट भारतीय नियमों की प्रासंगिकता पर विचार कर सकता है.
बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में भारतीय सरकारी बैंकों के एक समूह ने ब्रिटेन के उच्च न्यायालय से भगोड़ा विजय माल्या को करीब 1.145 अरब पाउंड का कर्ज ना चुकाने के आरोप में दिवालिया घोषित करने का आदेश देने की फिर से अपील की थी. लंदन में उच्च न्यायालय की दिवाला शाखा में न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने सुनवाई की.
वहीं, उच्च न्यायालय ने पहले दिए एक फैसले में दुनियाभर में माल्या की संपत्ति के लेन-देन पर प्रतिबंध लगाए जाने के आदेश को पलटने से इनकार कर दिया था और भारत की एक अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था कि 13 भारतीय बैंकों का समूह तकरीबन 1.145 अरब पाउंड के कर्ज की भरपाई करने के लिए अधिकृत है.
इसके बाद बैंकों ने संपत्ति जब्त करने के आदेश के तौर पर भरपाई की कवायद शुरू की. इसी के तहत कर्ज की भरपाई करने के लिए ब्रिटेन में माल्या की संपत्ति को जब्त करने की अपील करते हुए दिवाला याचिका दायर की.
एसबीआई के अलावा बैंकों के इस समूह में बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंसट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.