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कहते हैं प्यार से पत्थर भी भगवान बन जाता है. प्यार इंसानों में ही नहीं होता खूंखार जानवरों को भी इसका अहसास होता है. इस ढाई अक्षर की महिमा ही कुछ निराली है. ऐसा ही एक वाकया रणथम्भौर नेशनल पार्क में देखने और सुनने को मिल रहा है.
उस्ताद नाम के बाघ टी 24 और नूर नाम से चर्चित बाघिन टी-39 की प्रेम कहानी रणथम्भौर की वादियों में गूंज रही है. जब से उस्ताद को यहां से उदयपुर सज्जनगढ बॉयोलाजिकल पार्क में शिफ्ट किया, तब से नूर बाघिन और उसके दोनों शावक उस्ताद की तलाश में यहां वहां भटक रहे है.
उस्ताद के जाने से नूर बाघिन और उसके शावकों पर खतरा बढ गया है. बाघ टी 24 की टेरेटरी में सुल्तान नामक बाघ टी 72 भी घूमता है, जो कि एक युवा बाघ है. ये बाघ नूर को दोनों शावकों को इस जगह से खदेड़ सकता है. ऐसे में टी 24 के जाने के बाद से उसकी प्रेमिका और दोनों शावकों के लिये रणथम्भौर नेशनल पार्क में खतरा बढ़ गया है.
बाघ को हटाने के लिए की गई साजिश?
रणथम्भौर बाघ परियोजना के उप वन संरक्षक सुदर्शन शर्मा ने बताया कि उस्ताद की प्रेमिका नूर और उसके दोनों शावकों के बारे में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ जैसा जानवर परिवार की तरह नहीं रहता और बच्चों को पालने की जिम्मेदारी मां की ही रहती है लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिहाज से बाघिन और उसके दोनों शावकों की निगरानी की जा रही है ताकि उनको संभावित खतरे से बचाया जा सके.
वन्यजीव प्रेमी सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने तथाकथित बाघ विशेषज्ञों की राय पर ही बाघ को शिप्ट कर दिया. लोगों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों ने कुछ होटल माफियाओं के इशारे पर बाघ को शिप्ट किया है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बाघ टी 24 को जल्द ही वापस रणथम्भौर नही लाया गया तो वन्यजीव प्रेमी प्रदेश में उग्र आन्दोलन करेंगे.