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योगी इफेक्ट: अब लखनऊ बोले- 'रंग दे तू मोहे गेरुआ'

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के हाथों में यूपी की कमान आते ही सत्ता का रंग भी गेरुआ माना जाने लगा है. लखनऊ में भी गेरुआ रंग ही जगह-जगह नजर आने लगा है.

गेरुवे रंग से सजावट गेरुवे रंग से सजावट
खुशदीप सहगल/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ/गोरखपुर,
  • 12 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:22 AM IST

अवध की सियासी फिजा बदली, आबोहवा की रंगत बदली. जहां कुछ दिन पहले तक नवाबों की नगरी में झक सफेद कुर्ता-पाजामों का दबदबा था तो वहीं अब नया ट्रेंड है- 'रंग दे तू मोहे गेरुआ'.

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के हाथों में यूपी की कमान आते ही सत्ता का रंग भी गेरुआ माना जाने लगा है. लखनऊ में भी गेरुआ रंग ही जगह-जगह नजर आने लगा है. आम हो या खास, हर किसी की जुबान पर गेरुआ है. कुछ लोग बेशक गेरुआ को योगी आदित्यनाथ की पसंद से जोड़ कर देखें लेकिन हकीकत ये है कि योगी जिस नाथ सम्प्रदाय से आते हैं वहां गेरुआ पसंद नहीं परंपरा है. इसी परंपरा के मुताबिक ही योगी आदित्यनाथ नख से शिखा तक गेरुए वस्त्र ही धारण करते हैं.

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योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर हैं. इस पदवी पर रहने वाले को महाराज के नाम से संबोधित किया जाता है. उनके शरीर पर धारण किए जाने वाला हर वस्त्र गेरुआ होता है. योगी आदित्यनाथ न सिर्फ कुर्ता गेरुआ पहनते हैं बल्कि उनका धोतीनुमा निचला वस्त्र (लंगोटा) भी गेरुआ होता है. इसके अलावा साफा, कंधे पर रखा जाने वाला चौड़ा पट्टा, अंत:वस्त्र, पैरों में पहने जाने वाले मोजे भी गेरुए रंग के होते हैं.

गेरुए की इसी महिमा को देखते हुए लखनऊ में नौकरशाही ने योगी आदित्यनाथ के आसपास के माहौल में ज्यादा से ज्यादा यही रंग भरने की कोशिश की है. हालांकि योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को सिर्फ एक आदेश दिया था कि उनकी कुर्सी पर गेरुए रंग का एक तौलिया रहना चाहिए. लेकिन अफसर तो ठहरे अफसर, उनकी कोशिश रही कि लोकभवन में हर तरफ गेरुआ दिखे. लोकभवन में ही मुख्यमंत्री कैबिनेट मीटिंग करते हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस जब भी होती है मंच पर बीच में योगी की कुर्सी होती है जिस पर गेरुआ तौलिया रखा नजर आता है. यदि मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आते तो इस कुर्सी को हटा लिया जाता है. लोकभवन की लॉबी को गेरुए रंग के कपड़े से सजाया गया है. मुख्य दरवाजे पर रखे फूल भी भगवा रंग के हैं, गमले भी उसी रंग में रंगे हैं.

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बताते हैं कि शुरू मे नौकरशाही योगी के आसपास की तमाम चीजों को भगवा रंग में रंगने में जुट गई थी, लेकिन अब धीरे धीरे अधिकारी भी समझने लगे हैं कि रंग से कहीं ज्यादा जरूरी कामकाज को बेहतर ढंग से करके दिखाना है. योगी की उनके काम-काज पर पैनी नजर है और अगर उन्होंने नतीजे नहीं दिए तो उनके लिए मुश्किल होगी.

गेरुआ से गोरखपुर का कनेक्शन जानने के लिए 'आज तक' गोरक्षनाथ मंदिर भी पहुंचा. यहां मंदिर के कार्यालय प्रभारी द्वारिका तिवारी से मुलाकात हुई तो उन्होंने नाथ सम्प्रदाय में गेरुआ रंग के महत्व को विस्तार से बताया. द्वारिका तिवारी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ जो वस्त्र पहनते हैं वो गांधी आश्रम से आते हैं और उन्हें गेरुआ रंगवाया जाता है. उन्होंने बताया कि वैष्णव सम्प्रदाय में सब सफेद वस्त्र धारण करते हैं, इसी तरह नाथ सम्प्रदाय में सबके लिए गेरुआ पहनना जरूरी होता है. द्वारिका तिवारी ने बताया कि गेरुआ पसंद का सवाल नहीं बल्कि परंपरा है. गोरक्षनाथ मंदिर में ही योगी कमलनाथ बाबा ने भी गेरुए के महत्व पर प्रकाश डाला.

गोरखपुर कर्मस्थली होने की वजह से लंबे समय से यहां योगी आदित्यनाथ और गेरुए रंग का प्रभाव रहा है. लेकिन अब लखनऊ में भी गेरुआ का जादू सिर चढ़कर बोलने लगा है. इसका सबूत है लखनऊ में दुकानों के बाहर टंगे गेरुआ कुर्ते. दुकानदारों का भी कहना है कि गेरुआ कुर्तों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.

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