
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है. लखनऊ प्रशासन ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें नोटिस भेजना शुरू किया है. अभी तक 82 लोगों को नोटिस भेजा गया है. इन सभी लोगों को अदालत में हाजिर होकर यह बताना होगा कि आखिर हिंसा में पहचाने जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए.
यह नोटिस लखनऊ में हुए नुकसान की भरपाई के लिए भेजा गया है. नोटिस उन लोगों को भेजा गया है जिनको इस घटना के दौरान नुकसान हुई संपत्ति का जिम्मेदार माना गया है. फोटो और वीडियो में पहचान के बाद नुकसान के लिए जो लोग जिम्मेदार माने गए हैं उनसे जिला प्रशासन ने नोटिस भेजकर भरपाई के लिए पूछा है.
लोगों को नोटिस का जवाब देने के लिए एक महीने का समय भी दिया गया है. जवाब न देने पर आरोपी से जिला प्रशासन वसूली शुरू करेगा. इसके बाद कुर्की का आदेश जारी किया जाएगा. इन सभी प्रक्रियाओं के बाद जिला प्रशासन संपत्ति कुर्क करेगा.
जिलाधिकारी का आदेश
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चार सदस्यीय पैनल का गठन किया है जो सीएए के विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को पहुंचे नुकसान का आकलन करेगा. पैनल उपद्रवियों की पहचान करेगा और उन पर जुर्माना लगाएगा और अगर वे राशि का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा.
यह आदेश 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर आधारित है जो सरकार को इससे होने वाले नुकसान से उबरने के लिए ऐसा करने की अनुमति देता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा था कि हिंसा में शामिल लोगों को सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा था, "हम उनकी संपत्तियों को जब्त करेंगे क्योंकि कई चेहरों की वीडियो फुटेज के माध्यम से पहचान हुई है."(एजेंसी से इनपुट)
कुमार अभिषेक