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सोशल मीडिया पर चाइनीज प्रोडक्ट्स के विरोध का असर, कारोबार में भारी गिरावट की आशंका

चीनी सामानों का कोई विकल्प तैयार करना है, तो सरकार को दीर्घकालिक निर्णय लेने होंगे. हमें अपनी मैनुफैक्चरिंग मजबूत करनी होगी और ये सरकारी सहायता के बिना नहीं हो सकता.

चीन के लिए भारत बड़ा बाजार चीन के लिए भारत बड़ा बाजार
अंजलि कर्मकार/विवेक शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी सीएआईटी का दावा है कि सोशल मीडिया की बॉयकॉट चाइना प्रोडक्ट्स की मुहिम ने अपना असर बाजार पर दिखाना शुरू कर दिया है. ये असर काफी जबरदस्त है. हालात ये है कि ना सिर्फ दिल्ली एनसीआर बल्कि पूरे देश में ट्रेडर्स भ्रम की स्थिति में हैं कि चाइना से सामान आयात किया जाए या नहीं या फिर आयात किए गए सामान को कस्टम से छुड़ाया जाए या नहीं. बाजार के संकेतों को मानें, तो इस दिवाली मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स का व्यापार 30 फीसदी तक कम हो सकता है.

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कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सोशल मीडिया पर चाइनीज सामानों के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी गई है, उससे मोटे तौर पर चीन को कोई नुकसान नहीं होगा. कम से कम इस सीजन तो कतई नहीं. इसकी वजह ये है कि दिवाली के मौके पर खरीदारी की तैयारी ट्रेडर 2-3 महीने पहले ही शुरू कर देता है. लिहाजा तकरीबन सभी थोक व्यापारियों की दुकानें और गोदाम चाइनीज सामानों से अटे पड़े हैं. ऐसी स्थिति में यदि किसी का नुकसान होगा, तो वो हमारे देश के ही लोग और व्यापारी होंगे. वहीं, ग्राहकों में चाइनीज सामानों को लेकर इतना जबरदस्त विरोध देखा जा रहा है कि वो किसी कीमत पर चाइनीज सामान खरीदने को तैयार नहीं हैं. इसका असर क्रिसमस और नए साल के दौरान होने वाले आयात पर पड़ सकता है.

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चीन के लिए भारत बड़ा बाजार
भारत चीन के लिए बड़ा बाजार है, जिसकी अनदेखी करना ड्रैगन के लिए मुमकिन नहीं. वहीं, लगातार आयात के मद्देनजर भारत में खिलौने, फर्नीचर, हार्डवेयर, पटाखे, लाइटिंग और इलेक्ट्रिक सामानों, गिफ्ट आइटम, घड़ियां और किचन अप्लाएंस की मैनुफैक्चरिंग इतनी पिछड़ चुकी है कि वो डिमांड की सप्लाई कर पाने में फिलहाल नाकाम ही होगी.

मैनुफैक्चरिंग को मजबूत करे सरकार
ऐसे हालात में यदि चीनी सामानों का कोई विकल्प तैयार करना है, तो सरकार को दीर्घकालिक निर्णय लेने होंगे. हमें अपनी मैनुफैक्चरिंग मजबूत करनी होगी और ये सरकारी सहायता के बिना नहीं हो सकता. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि वित्तीय सहायता के साथ-साथ सरकार को नई टेक्नॉलजी सस्ती दर पर लघु और मध्यम उद्यमों को मुहैया करानी होगी. तभी भारत का निर्माण उद्योग हमारी अपनी मांग की आपूर्ति करने लायक तैयार हो पाएगा.

चीन से मुकाबला अभी दूर की कौड़ी
इसमें दोराय नहीं है कि निर्माण के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन से मुकाबला तो अभी दूर की कौड़ी है, लेकिन अगर सरकार से जरूरत मुताबिक, सहायता और समर्थन मिले, तो इस बात में दोराय नहीं हो सकती कि जल्दी ही देश अंतराराष्ट्रीय स्तर पर चीन की प्रतियोगिता के लिए तैयार हो सकता है.

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