
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विजय रथ पर सवार बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष एकजुट होने की कवायद में जुटा है. विपक्ष को इसमें जीत का मंत्र भी मिलता दिख रहा है. उपचुनावों में महागठबंधन की जीत से कांग्रेस उत्साहित भी है. इस साल आखिर में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस बसपा के साथ गठबंधन करके उतर सकती है.
कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है. यही वजह है कि कांग्रेस मायावती की पार्टी बसपा के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरने के लिए प्लान बना रही है.
सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास बसपा के साथ जाने के दो विकल्प हैं. पहला ये है कि बीजेपी के खिलाफ चुनाव से पूर्व बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़े. दूसरा विकल्प बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए उसके उम्मीदवारों के खिलाफ उसी जाति के प्रत्याशी को बसपा से खड़ा किया जाए, ताकि बीजेपी के वोटों को बांटकर जीत हासिल की जा सके.
बता दें कि पिछले साल मध्य प्रदेश के भिंड और सतना जिलों की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी के नहीं खड़े होने का फायदा कांग्रेस का मिला था, जिसके चलते बीजेपी को मात खानी पड़ी थी. इतना ही नहीं राज्यसभा चुनाव में भी बसपा ने कांग्रेस को समर्थन किया था.
बसपा का राज्य में ग्वालियर-चंबल और रीवा क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है. इन इलाकों की विधानसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों को हराने को लेकर कांग्रेस चिंतित है. कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण इस क्षेत्र की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों को नुकसान झेलना पड़ता है.
पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है. मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है. जिन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की वहां 0.35 फीसदी से लेकर करीब 11 फीसदी वोटों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों को शिकस्त दी है.
2013 के नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटे हैं. 230 सीट पर चुनाव होते हैं और एक सदस्य को मनोनित किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.