
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और कांग्रेस 15 साल बाद सूबे की सत्ता में वापसी कर रही है. शिवपुरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया ने कांग्रेस के सिद्धार्थ लाडा को 28748 वोटों से चुनाव हरा दिया है. इस सीट पर पहले भी बीजेपी का कब्जा था और यशोधरा ही यहां से विधायक थीं.
2013 में विधानसभा की क्या थी तस्वीर
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 35 सीट अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 165 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
2008 और 2013 में क्या थे इस सीट पर नतीजे
यशोधरा राजे सिंधिया को शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से 2013 के चुनाव में 11 हजार से अधिक मतों से विजय हासिल हुई थी. उन्होंने कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी वीरेंद्र रघुवंशी को पराजित किया था. सिंधिया को जहां 76330 वोट मिले थे, तो वहीं वीरेंद्र रघुवंशी को 65185 मत मिले थे.
इससे पहले 2008 के चुनाव में बीजेपी के ही माखनलाल राठोड़ ने जीत हासिल की थी. उनको 25760 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी 24009 वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे.
वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार मध्य प्रदेश में 75.05 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 74.03 प्रतिशत रहा. 2013 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 70.11 रहा था.
इसके पहले कैसा रहा है वोटिंग का प्रतिशत
1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में बीजेपी मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी.
वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 रहा था जो 1993 के बराबर ही था. उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. लेकिन 2003 में उमा के नेतृत्व में बीजेपी सामने आई और दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. उस वक्त भी 7.03 प्रतिशत वोट बढ़े थे.
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