
'MP अजब है, सबसे गजब है' यह तो मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग की टैग लाइन है, लेकिन मंगलवार को राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे भी इन्हीं पंक्तियों को सही ठहराते नजर आए. कल सुबह 8 बजे से शुरू हुई मतगणना का अंत करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त के बाद हो सका फिर भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जरूर लेकिन वह भी 116 के जादुई आंकड़े से दो सीट दूर ही रह गई.
इससे पहले मंगलवार दिनभर नतीजों पर भारी उठा-पटक देखने को मिली. सुबह पहला रुझान बीजेपी के पक्ष में आया तो थोड़े ही देर में कांग्रेस ने बढ़त बना ली थी. फिर दोपहर के बाद शाम और शाम के बाद रात तक कभी कांग्रेस आगे तो कभी बीजेपी आगे दिखाई दी. रात को जब सीटों की तस्वीर थोड़ी साफ हुई तो सत्ता की दौड़ शुरू हो गई.
सरकार बनाने का दावा
मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर बढ़ता देख देर रात को ही कांग्रेस ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात का वक्त मांग लिया. पार्टी राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहती थी. उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के घर बैठकों का दौर शुरू हो गया. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय समेत बीजेपी के कई नेता शिवराज के साथ बैठकर सत्ता हासिल करने की जुगत में लग गए.
नतीजों से एक बात साफ हो चुकी थी कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों में से किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं है. दोनों ही दलों को बहुमत पाने के लिए निर्दलीय या सपा-बसपा का सहारा लेना पड़ेगा. कांग्रेस को इस मामले में थोड़ी राहत थी. क्योंकि सपा पहले ही कांग्रेस के साथ जाने का ऐलान कर चुकी थी और बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी साफ ऐलान कर दिया कि कांग्रेस को समर्थन देंगे. कमलनाथ ने दावा कर दिया कि निर्दलीय विधायक हमारे संपर्क में हैं और उनके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त आंकड़े हैं.
BJP को सरकार गठन का भरोसा!
बीजेपी ने पहले तो कांग्रेस के दावे पर सवाल उठाए और फिर विपक्षी दल पर मतगणना में देरी करवाने का आरोप भी लगाया. बीजेपी का कहना था कि कांग्रेस को नतीजों का इंतजार करना चाहिए और उससे पहले राज्यपाल से वक्त मांगने का कोई मतलब नहीं है. बीजेपी ने भी निर्दलीय विधायकों को साथ लाने का दावा किया और खुद भी राज्यपाल से मुलाकात के लिए वक्त मांग लिया. हालांकि रात में राज्यपाल ने किसी भी दल से मिलने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक चुनाव आयोग नतीजे स्पष्ट नहीं करता किसी दल को वक्त नहीं दिया जाएगा.
अब मध्य प्रदेश में नतीजे साफ हैं. 230 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के खाते में 114 सीटें गईं, वहीं बीजेपी 109 सीटों पर सिमट गई है. राज्य में बसपा को 2, सपा को एक और 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है. दोनों ही दलों के नेता आज राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.
बुधवार सुबह से ही कांग्रेस और बीजेपी के खेमों में सरगर्मी तेज हो गई है. सीएम शिवराज पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और बीजेपी सत्ता हासिल करने की हर मुमकिन कोशिश की तैयारी में लग गई है. कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह मंगलवार दोपहर ही मुलाकात कर चुके हैं. इस बीच चारों निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस के साथ जाने की खबर भी आ रही है.
कमलनाथ या सिंधिया, CM कौन?
इसके अलावा कांग्रेस ने शाम 4 बजे एक बैठक बुलाई है जिसमें मुख्यमंत्री का चेहरा तय हो सकता है. जिस तरह से कमलनाथ समर्थकों और सिंधिया समर्थकों के बीच सीएम पद को लेकर शक्ति प्रदर्शन हुआ उससे माना जा रहा है कि कांग्रेस में सीएम पद को लेकर खींचतान हो सकती है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन होगा लेकिन कमलनाथ का पलड़ा भारी बताया जा रहा है.