
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के पास एनकाउंटर में मारा गया. उसे गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था. इस घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदश में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने विकास दुबे की गिरफ्तारी को मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से जोड़ा. कांग्रेस ने ट्वीट कर नरोत्तम मिश्रा पर अपरोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा है कि इस मामले में पूरी दाल ही काली है क्योंकि नरोत्तम मिश्रा 2019 के चुनाव के दौरान कानपुर जिले के बीजेपी चुनाव प्रभारी थे और मौजूदा समय में उज्जैन के प्रभारी हैं. इस तरह से कांग्रेस ने नरोत्तम मिश्रा से विकास दुबे को जोड़कर निशाने पर लिया है.
नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं और शिवराज सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर गुरुवार को मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पुष्टि की थी. गहमंत्री ने कहा था कि उज्जैन के महाकाल मंदिर से विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई है. हमारी पुलिस किसी को भी नहीं छोड़ती है. यूपी के कानपुर में हुई घटना के बाद से ही एमपी पुलिस अलर्ट पर थी और उसे उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, अब नरोत्तम मिश्रा गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद से कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं.
बता दें कि बीजेपी के कद्दावर नेता और दतिया सीट से विधायक नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय गृह और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए एमपी के दतिया से विधायक नरोत्तम मिश्रा को 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट का प्रभारी नियुक्त किया था.
कानपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता को देखते हुए नरोत्तम मिश्रा को समीकरण साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, क्योंकि उस समय बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की जगह सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा था. नरोत्तम मिश्रा मौजूदा समय में मंत्री के तौर पर उज्जैन के जिला प्रभारी हैं. इसीलिए कांग्रेस विकास दुबे की गिरफ्तारी को नरोत्तम मिश्रा से जोड़कर देख रही है.
कमलनाथ सरकार को सत्ता से बेदखल करने के ऑपरेशन लोटस में नरोत्तम मिश्रा की अहम भूमिका मानी जाती है. पॉलिटिकल सफर की बात करें तो डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने राजनीतिक जिंदगी की शुरुआत कॉलेज के दिनों से कर दी थी. साल 1977-78 में वह पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति के मैदान में उतरे थे और जीवाजी विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के सचिव बने. इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने फिर पलटकर नहीं देखा और सियासी बुलंदी पर सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते गए.
दतिया सीट से छह बार के विधायक नरोत्तम मिश्रा का जन्म 15 अप्रैल, 1960 को ग्वालियर में हुआ और उनके पिता का नाम डॉ. शिवदत्त मिश्रा है. आरएसएस और एबीवीपी से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले नरोत्तम मिश्रा मिलनसार होने की वजह से लोगों के बीच आसानी से घुलमिल जाते हैं. उन्होंने राजनीति के मैदान में वर्चस्व कायम करते हुए अलग ही स्थान बनाया है. 1977 में छात्रसंघ के सचिव बनने बाद बीजेपी युवा मोर्चा के प्रान्तीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. इसके बाद साल 1985-87 में एमपी भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बने.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा साल 1990 में मध्य प्रदेश की नवम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा लोक लेखा समिति के सदस्य रहे. इसके बाद डॉ. मिश्रा साल 1990 में विधायक बने और विधासभा में सचेतक भी रहे. वे साल 1998 में दूसरी बार, 2003 में तीसरी बार, 2008 में चौथी और साल 2013 में पांचवीं बार और 2018 में छठी बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. नरोत्तम मिश्रा को एक जून 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था.
मध्य प्रदेश की सियासत में नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के भरोसेमंद माने जाते थे. यही वजह थी कि दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा जताते हुए अपने मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में उन्हें शामिल किया. इसके बाद से लगातार शिवराज सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालते आ रहे हैं. डबरा विधानसभा अरक्षित होने की वजह से दतिया विधानसभा क्षेत्र से साल 2013 और 2018 के चुनाव लडे़ और जीत दर्ज कर विधायक बने.
बीजेपी के संकट मोचक
मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी पर जब भी परेशानी आई है तो नरोत्तम मिश्रा संकटमोचक के रूप में खड़े नजर आए हैं. 2018 के चुनाव में संख्या बल में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद विपक्ष में बैठने वाली बीजेपी को सत्ता दिलाने में नरोत्तम मिश्रा का अहम किरदार रहा है. नरोत्तम मिश्रा का पार्टी में कद इतना बढ़ गया है इसी के नतीजा है कि कमलनाथ की सत्ता के बाद नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में भी देखा जा रहा था, लेकिन शिवराज कमान मिलने के बाद उन्हें नंबर दो की हैसियत के रूप में रखा गया है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में 15 महीने की कमलनाथ नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में निशाने पर नरोत्तम मिश्रा रहे हैं. उन्होंने सियासी प्रताड़ना का भी शिकार होना पड़ा था. कमलनाथ सरकार ने उनके खिलाफ कई जांच करायी थी, लेकिन मैदान नहीं छोड़ा. इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने जोड़-तोड़ की राजनीति को भी एक नई दिशा दी और कमलनाथ विरोधियों को लामबंद किया.
शिवराज ने नरोत्तम को गृह मंत्री के तौर पर दूसरे बड़े मंत्रालय से नवाजा तो कोरोना काल में उन्हें स्वास्थ्य विभाग की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी सौंप रखी है. नरोत्तम भी उस ग्वालियर चंबल क्षेत्र के दतिया का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर केंद्रीय राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा चेहरा हैं. नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया की तिकड़ी मध्य प्रदेश की सियासत में ग्वालियर-चंबल में बीजेपी के कद्दावर नेता हैं.