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संत भय्यूजी महाराज ने गोली मारकर की खुदकुशी, शिवराज ने बनाया था राज्य मंत्री

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मार ली. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अभी तक घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

पुलिस मामले की छानबीन कर रही है पुलिस मामले की छानबीन कर रही है
परवेज़ सागर
  • इंदौर,
  • 12 जून 2018,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मार ली. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अभी तक घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

घटना के फौरन बाद भय्यूजी को इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई. उन्होंने खुदकुशी क्यों कि इस बात की जांच की जा रही है. उनकी मौत से उनके भक्त और समर्थक गहरे सदमे में हैं.

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ठुकरा दिया था राज्यमंत्री का पद

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी साल भय्यूजी महाराज सहित पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की थी. लेकिन मॉडल संत के नाम से मशहूर Bhayyu ji Maharaj ने शिवराज सिंह चौहान के इस ऑफर को ठुकरा दिया था.

भोपाल में अप्रैल के मध्य में आयोजित एक कार्यक्रम में भय्यूजी महाराज और नर्मदानंद महाराज ने कहा था कि उन्होंने कभी राज्यमंत्री का पद स्वीकार ही नहीं किया. भय्यूजी महाराज ने कहा था कि उन्हें सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा तो दे दिया, लेकिन उन्होंने इस पद का उपयोग और उपभोग नहीं किया है.

1968 को जन्मे भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देखमुख है. वह कपड़ों के एक ब्रांड के लिए कभी मॉडलिंग भी कर चुके हैं. भय्यू महाराज का देश के दिग्गज राजनेताओं से संपर्क थे. हालांकि वह शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे.

भय्यू जी महाराज तब चर्चा में आए थे जब 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था. इसी के बाद ही अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था.

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वहीं पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे. उस उपवास को तुड़वाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था.

उनका सदगुरु दत्त धामिर्क ट्रस्ट नाम का ट्रस्ट भी चलता है. अपने ट्रस्ट के जरिए वह स्कॉलरशिप बांटते थे. कैदियों के बच्चों को पढ़ाते थे. और किसानों को खाद-बीज मुफ्त बांटते थे.

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