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MP: क्या झूठा है खुले में शौच से मुक्ति का केंद्र सरकार का दावा?

2 अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती नदी के किनारे यह ऐलान किया था कि भारत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के एक ऐलान के महज़ डेढ़ महीने बाद आई नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कह रही है.

खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर लोग खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर लोग
रवीश पाल सिंह
  • सीहोर,
  • 28 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST

  • केंद्र का दावा- 90% ग्रामीण इलाके खुले में शौच से मुक्त
  • 28 फीसदी से ज्यादा लोग खुले में शौच करने को मजबूर

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ये दावा कर रहे हैं कि 90 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाके खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं, लेकिन नेशनल सेंपल सर्वे की रिपोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया है. नेशनल सेंपल सर्वे (NSSO) की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 28 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाके में लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं. पढ़िए मध्य प्रदेश के सीहोर से 'आजतक' की ये ग्राउंड रिपोर्ट.

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भारत के खुले में शौच से मुक्त होने का दावा

2 अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती नदी के किनारे यह ऐलान किया था कि भारत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के एक ऐलान के महज़ डेढ़ महीने बाद आई नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कह रही है. नेशनल सेंपल सर्वे की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 71.3 फीसदी ग्रामीण घरों और 96.2 फीसदी शहरी घरों में शौचालय है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा कर चुके हैं कि भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रामीण भारत में बाकी के 28.7 फिसदी लोग शौचालय के लिए कहां जाते हैं?

घर में शौचालय नहीं, खुले में शौच को मजबूर लोग

इस सवाल के जवाब में 'आजतक' की टीम पहुंची मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे सीहोर के थुनाकलां और ठुनाखुर्द गांव. यहां सुबह की पहली किरण निकलते ही कई लोग भी खुले में शौच के लिए अपने घरों से बाहर निकल पड़ते हैं. गांव की महिलाएं हो या पुरुष, सुबह-सुबह खुले में शौच के लिए जाते हैं. गांव के पास से गुज़र रही रेलवे लाइन के किनारे की झाड़ियों में गांव के लोग सुबह शौच के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं. इसी गांव की रहने वाली नारायणी बाई ने बताया कि उनके घर शौचालय नहीं है इसलिए उनका पूरा परिवार मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाता है. नारायणी बाई ने बताया कि शौचालय का काम अभी चल रहा है जो किश्तें पूरी मिलते ही बन जाएगा.

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शौचालय बनवाने के लिए पंचायत से नहीं मिले पैसे

इसके बाद 'आजतक' की टीम पहुंची सीहोर जिले के ठुनाखुर्द गांव. यहां भी कई लोग दिखाई दिए जो खुले में शौच के लिए या तो जा रहे थे या आ रहे थे. इसी गांव के रहने वाले मांगीलाल जब शौच करके आ रहे थे तो उन्होंने जो बताया उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. मांगीलाल ने दिखाया कि घर में शौचालय का गड्ढा खुदा हुआ है, लेकिन पंचायत से शौचालय बनवाने के पैसे जारी नहीं हुए. इसलिए खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. मांगीलाल अकी तरह मजदूरी करने वाले नंदकिशोर के घर में भी शौचालय नहीं है. सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन इस ग्राउंड रिपोर्ट से ये बात साबित हो गया कि ग्रामीण इलाकों में अभी भी बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं.

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