
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस साल आखिर में होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक समीकरण सेट करने में जुट गए हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीएसपी या फिर अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करें या नहीं, इस पर विचार-विमर्श के लिए राहुल गांधी आज तीनों राज्यों के प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बाबत मध्य प्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया, राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे और छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पुनिया को दिल्ली बुलाया है.
बता दें कि मौजूदा समय में तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकारें है. कांग्रेस तीनों राज्यों में सत्ता की वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में है. इन तीन राज्यों में कांग्रेस किसी भी तरह सेक्युलर वोट का बंटवारा नहीं होने देना चाहती.
कांग्रेस बीएसपी सहित दूसरे दलों के साथ लगातार संपर्क में है. बता दें कि बीएसपी का तीनों राज्यों में अच्छा खासा आधार है. बसपा तीनों राज्यों में चुनावी तैयारी में भी जुटी है. पिछले दिनों कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मायावती के साथ मुलाकात की थी.
छत्तीसगढ़ में बीएसपी पिछले विधानसभा चुनाव में महज एक सीट जीत पाई थी, जबकि दो सीटों पर दूसरे नंबर पर थी. कांग्रेस छत्तीसगढ़ में किसी भी कीमत पर बसपा को अपने साथ रखना चाहती है. पार्टी को डर है कि अगर जोगी और बीएसपी साथ आ गए, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.
राजस्थान में 2013 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने राज्य की 200 में से 195 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से तीन सीट पर उसके प्रत्याशी को सफलता मिली. उस वक्त बीएसपी को राज्य में 3.4 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि राजस्थान में कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व बीएसपी से गठबंधन के पक्ष में नहीं है, लेकिन राहुल बीएसपी के लिए राज्य में कुछ सीटें छोड़ने को तैयार हैं.
मध्य प्रदेश में बसपा 2013 के विधानसभा चुनाव में 4 सीटें जीती थी और करीब एक दर्जन सीटों पर दूसरे स्थान पर थी. यही वजह है कि बसपा की ताकत को देखते हुए कांग्रेस उसके साथ गठबंधन करने को लेकर संजीदा है.
बसपा के अलावा कांग्रेस की महाकौशल और विंध्य इलाके में गोंड आदिवासियों पर भी निगाहें हैं. इस इलाके में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) की भूमिका है, गोंड जनजाति 6 लोकसभा क्षेत्रों और करीब 60 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालती है. 2003 में गोंगपा के 3 विधायक जीते भी थे. कांग्रेस इस पार्टी के साथ गठजोड़ करके गोंड जनजाति के साथ ही आदिवासियों को अपने साथ जोड़ना चाहती है.