
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट विस्तार में ग्वालियर-चंबल से आने वाले नेताओं का जबरदस्त दबदबा देखने को मिला है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी ने भले ही सरकार बनी ली है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या पार्टी का सियासी पावर बैलेंस बिगड़ गया है. इसका असर कैबिनेट विस्तार में साफ तौर पर दिखा है. जिसका नतीजा है कि बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता एक तरफ मंत्री बनने से महरूम रह गए हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के कई मजबूत इलाके के नेताओं को जगह नहीं मिली.
ग्वालियर चंबल पर फोकस
सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी का नया गढ़ ग्वालियर-चंबल इलाका बन गया है. शिवराज कैबिनेट में सिंधिया के इलाके ग्वालियर-चंबल से 11 मंत्री बनाए गए हैं. इनमें बीजेपी खेमे से यशोधरा राजे सिंधिया, भरत सिंह कुशवाहा और अरविंद भदौरिया को मंत्री बनाया गया है जबकि सिंधिया गुट से प्रद्यम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़, ऐंदल सिंह कंसाना, ब्रजेन्द्र सिंह यादव और महेंद्र सिंह सिसोदिया को मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा पहले ही कैबिनेट मंत्री है.
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ग्वालियर बेल्ट में बीजेपी के दिग्गज नेता
मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल इलाके में पहले से बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता रहे हैं. शिवराज कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नरोत्तम मिश्रा इसी इलाके से आते हैं. प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की हैसियत एकाएक बढ़ गई बीजेपी के नए संकट मोचक बनकर उभरे हैं. इसके अलावा मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का अपना अलग राजनीतिक वर्चस्व है. वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा भी ग्वालियर संभाग से ही आते हैं.
चंबल-ग्वालियर इलाके में वर्चस्व के ताने-बाने में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी चेहरा उभरा है. संगठन के मुखिया होने की वजह से उनका भी हस्तक्षेप बढ़ा है. यशोधरा राजे सिंधिया और अरविंद भदौरिया का भी अपना राजनीतिक आधार ग्वालियर इलाके में है. वहीं, अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी का नया राजनीतिक केंद्र यह इलाका बना गया है.
हालांकि, कमलनाथ की सरकार गिरने से पहले ग्वालियर-चंबल संभाग में बीजेपी के फैसले आरएसएस, पार्टी संगठन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सहमति से हो जाते थे. लेकिन अब बदले हुए समीकरण में परिस्थिति बदल गई. यही वजह है कि छोटे-छोटे मसलों पर भी निर्णय लेने में बीजेपी को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
सिंधिया के चलते बिगड़ा सियासी बैलेंस
दरअसल इसके पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस से छोड़कर बीजेपी में आना मुख्य वजह है. सिंधिया के साथ 22 कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था, जहां इसी साल आखिर में विधानसभा उपचुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल विस्तार में ग्वालियर चंबल पर अधिक फोकस किया गया है. विस्तार में इस क्षेत्र से आने वाले सबसे अधिक नेताओं को मौका दिया गया है, जिसकी वजह से कई इलाके को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नजर अंदाज करना पड़ा है.
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मेवाड़-निमाड़ को खास तवज्जो नहीं
मालवा-निमाड़ अंचल के बड़वानी विधायक प्रेम सिंह पटेल, हरसूद विधायक विजय शाह, जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा, महू विधायक ऊषा ठाकुर को कैबिनेट मंत्री और शुजालपुर विधायक इंदर सिंह परमार को राज्यमंत्री बनाया गया है. इस तरह से बीजेपी ने चंबल-ग्वालियर की तुलना में मालवा और निमाड़ को खास तवज्जो नहीं दी है जबकि 2018 में बीजेपी का इस पूरे इलाके में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था. कांग्रेस यहां बीजेपी से पीछे रह गई थी.
महाकौशल-विंध्य को नहीं मिली जगह
वहीं, शिवराज कैबिनट में गुरुवार को हुए मंत्रिमंडल में महाकौशल और विंध्य क्षेत्र के बीजेपी नेताओं को जगह नहीं मिल पाई है. महाकौशल से महज रामकिशोर कांवरे को राज्यमंत्री बनाया गया है जबकि विंध्य क्षेत्र से अकेले राम खेलावन पटेल ही मंत्री बनाए गए हैं. महाकौशल के दिग्गज नेता अशोक रोहाणी, अजय विश्नोई, संजय पाठक, गौरीशंकर बिसेन और देवी सिंह सैयाम जैसे नेताओं को जगह नहीं मिली. ऐसे ही विंध्य इलाके में राजेंद्र शुक्ला और गिरीश गौतम जैसे वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर राम खेलावन पटेल को मंत्री बनाया गया है.
विंध्य क्षेत्र में राजेंद्र शुक्ला के इलेक्शन मैनेजमेंट से बीजेपी की झोली में सीटें गिरी थीं जबकि ग्वालियर-चंबल इलाके में तोमर के समर्थकों ने मेहनत की थी. मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कैलाश विजयवर्गीय पार्टी का चुनाव मैनेजमेंट संभालते हैं, लेकिन कैबिनेट विस्तार में सबसे ज्यादा जगह ग्वालियर संभाग को मिला है. ऐसे में अब देखना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में इसका क्या असर देखने को मिलता है?