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MP में जल्द शुरू होगी ‘व्हाइट टाइगर सफारी’

मध्य प्रदेश में देश की पहली ‘व्हाइट टाइगर सफारी’ स्थापित होने जा रही है जहां न केवल सफेद बाघ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होंगे बल्कि उन्हें सफेद बाघों के इतिहास की भी पूरी जानकारी मिलेगी. इस सफारी में पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को विश्व के पहले सफेद बाघ मोहन के वशंजों को देखने का मौका मिलेगा.

सफेद बाघ सफेद बाघ
aajtak.in
  • भोपाल,
  • 22 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

मध्य प्रदेश में देश की पहली ‘व्हाइट टाइगर सफारी’ स्थापित होने जा रही है जहां न केवल सफेद बाघ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होंगे बल्कि उन्हें सफेद बाघों के इतिहास की भी पूरी जानकारी मिलेगी. इस सफारी में पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को विश्व के पहले सफेद बाघ मोहन के वशंजों को देखने का मौका मिलेगा. मध्यप्रदेश के जनसंपर्क और खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने इसके विश्व की पहली ‘व्हाइट टाइगर सफारी’ होने का दावा करते हुए कहा कि इसका निर्माण अब पूरा होने वाला है. सतना जिले के मुकुंदपुर का यह जियोलोजिकल पार्क पर्यटकों को सफेद बाघों की दुनिया से परिचित करवाएगा.

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शुक्ला ने बताया कि इस सफारी का नाम ‘मुकुंदपुर जू और मोहन टाइगर सफारी’ रखा जाएगा. यहां स्थित व्हाइट टाइगर प्रजनन केंद्र का नाम महाराजा मार्तंड सिंह के नाम पर रखा जाएगा और सफेद बाघों के लिए एक उपचार केंद्र भी स्थापित किया जाएगा.

यहां उल्लेखनीय है कि विश्व का पहला सफेद बाघ (व्हाइट टाइगर) 1951 में सीधी के जंगलों में तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह द्वारा पकड़ा गया था और उसे लाकर गोविंदगढ़ में रखा गया जहां से वह मुकुंदपुर के जंगलों में भाग गया. धीरे धीरे इसी मोहन नामक सफेद बाघ के वशंज दुनियाभर के जंगलों और चिड़ियाघरों तक पहुंच गए. लेकिन वे रीवा और विंध्य क्षेत्र में लुप्तप्राय: हो गए. लेकिन अब जल्द ही सफेद बाघ अपने मूल प्रजनन क्षेत्र में लौटेगा.

शुक्ल ने मुकंदपुर टाइगर सफारी का दौरा करने के दौरान बताया कि यहां पर्यटकों को सफेद शेर के इतिहास की संपूर्ण जानकारी भी मिलेगी और विंध्य क्षेत्र में एक बार पुन: सफेद बाघों को अपने मूल पर्यावास में वापस लाकर पुरानी वैश्विक पहचान स्थापित करवाई जायेगी.

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शुक्ला ने बताया कि लगभग 40 वर्ष बाद मुकुंदपुर वन्य जीव पर्यटन केन्द्र के तौर पर विकसित हो रहा है जहां जियोलोजिकल पार्क, रेस्क्यू सेंटर, व्हाइट टाइगर सफारी और प्रजनन केंद्र आदि हैं. पूर्व में यह क्षेत्र सफेद बाघों के संरक्षण और प्रजनन केन्द्र के तौर पर जाना जाता रहा है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र फिर से अपने खोए गौरव को प्राप्त करेगा तथा विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बनाएगा.

उन्होंने उम्मीद जतायी कि इससे न केवल बड़ी संख्या में पर्यटक टाइगर सफारी देखने के लिए क्षेत्र में आएंगे बल्कि रीवा का नाम भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर उभरेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

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