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म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान को मद्रास हाई कोर्ट से राहत, GST न भरने का था केस

मद्रास हाई कोर्ट ने सिंगर और म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान को वस्तु एवं सेवा टैक्स (GST) और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के मामले में राहत दी है.

ए आर रहमान ए आर रहमान
अक्षया नाथ
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

मद्रास हाई कोर्ट ने सिंगर और म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान को वस्तु एवं सेवा टैक्स (GST) और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के मामले में राहत दी है. 17 अक्टूबर को GST कमिशनर ने रहमान पर सर्विस टैक्स भुगतान ना करने का इल्जाम लगाया था. उन्हें अप्रैल 2013 से जून 2017 तक के लिए 6.79 करोड़ रुपये के बकाया सर्विस टैक्स और पेनल्टी के तौर पर भी 6.79 करोड़ रुपए भरने का निर्देश दिया था.

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रहमान को राहत

बुधवार को हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनीता सुमंत ने ए आर रहमान की याचिका पर सुनवाई करते हुए जीएसटी कमिश्नर के आदेश पर रोक लगा दी. GST और CE (दक्षिणी चेन्नई) के कमिशनर के एम रविचंद्रन ने अपने ऑर्डर में कहा था कि जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशालय (DGGSTI) की जांच के अनुसार रहमान अपनी कमाई के हिसाब से उचित सर्विस टैक्स नहीं भर रहे थे.

अधिकारियों के मुताबिक रहमान फिल्मों में म्यूजिक कंपोज कर और लोगों के बीच अपने संगीत की परफॉर्मेंस से कमाई की है. इसके साथ ही रहमान भारत और विदेशों में लाइव कॉन्सर्ट करके भी पैसे कमाए. अधिकारियों ने कहा कि ये सारी कमाई टैक्स के दायरे में आती है और रहमान इस सर्विस टैक्स को देने में नाकाम रहे.  

ये थी रहमान की याचिका

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हालांकि कोर्ट में अपनी जमा करवाई याचिका में रहमान ने बताया कि कमिशनर ने उनकी कमाई के बारे में गलत अनुमान लगाया था. आदेश देते हुए ये अनुमान लगाया गया था कि एक फिल्म का प्रोड्यूसर उसमें इस्तेमाल किए गए संगीत के कॉपीराइट का मालिक होता है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. Copyright Act of 1957 के Section 13(1)(a) का हवाला देते हुए रहमान ने अपनी याचिका में बताया कि किसी अन्य की प्रोड्यूस की हुई फिल्मों में दिए आने वाले गानों और बैकग्राउंड स्कोर का इकलौता मालिक म्यूजिक कंपोजर ही होता है. और यह सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आता है. उनकी टीम ने कहा कि फाइनेंस एक्ट, 1994 की धारा 65(बी) 44 में सिर्फ सेवाओं का जिक्र है और गिफ्ट या बिक्री के जरिए टाइटल ट्रांसफर को इसमें छूट मिली हुई है.

उन्होंने कहा कि जब एक म्यूजिक कंपोजर अपने काम को एग्रीमेंट के जरिए किसी प्रोड्यूसर को देता है, प्रोड्यूसर तभी इस म्यूजिकल काम का कॉपीराइट पा सकता है. ऐसे में रहमान ने बताया कि वो सिर्फ साउंड रिकॉर्डिंग सर्विस का टैक्स भर रहे थे क्योंकि कॉपीराइट का परमानेंट ट्रांसफर टैक्स के दायरे में नहीं आता है.

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केंद्र द्वारा 20 जून 2012 में दिए गए नोटिफिकेशन के आधार पर कॉपीराइट का अस्थायी ट्रांसफर सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आता है.

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