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गोरखपुर में कई दुकानों पर छापेमारी, जांच के लिए भेजे गए मैगी के सैंपल

मैगी के सैंपल फेल होने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग यूपी में सक्रिय हो गया है. हर जगह से मैंगी के नए सैंपल लिए जा रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को गोरखपुर में मैगी नूडल्स और पास्ता के नमूने लिए गए. मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने टीम सहित महानगर के कई दुकानों से सैंपल लिया. इसे जांच के लिए भेज दिया गया है.

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aajtak.in
  • गोरखपुर,
  • 29 मई 2015,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST

मैगी के सैंपल फेल होने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग यूपी में सक्रिय हो गया है. हर जगह से मैंगी के नए सैंपल लिए जा रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को गोरखपुर में मैगी नूडल्स और पास्ता के नमूने लिए गए. मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने टीम सहित महानगर के कई दुकानों से सैंपल लिया. इसे जांच के लिए भेज दिया गया है.

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल कुमार राय ने बताया कि राज्य में अन्य जगहों पर लिए गए सैंपल में मोनोसोडियम ग्लूकामेट (एमएसजी) पाया गया. इसकी मात्रा निर्धारित मात्रा से ज्यादा पाई गई थी. यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसी वजह से गोरखपुर में भी छापेमारी करके मैगी नूडल्स और पास्ता के एक-एक सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है. इसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जाएगी.

बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. वाईडी सिंह ने बताया कि मैगी में कई तत्व मानक के हिसाब से नहीं हैं. इसमें लेड की मात्रा ज्यादा पाई गई है. इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है. इलेक्ट्रानिक पॉयजनिंग होती है. इससे चेहरा धीरे-धीरे पीला पड़ता जाता है. बच्चों में याददाश्त, खून की कमी, मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है. पेट में दर्द, उल्टी आने, शरीर में सुस्ती, गर्दन की नसें कमजोर होने की शिकायत होती है.

बताते चलें कि मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई, जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए. यूपी के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के एडिशनल कमिश्नर राम अरज मौर्या ने बताया, 'हमने कई जगहों से मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच में हमें काफी लेड मिला. इसे दोबारा लैब में जांच के लिए भेजा गया और फिर वही नतीजा सामने आया.'

किडनी भी हो सकती है डैमेज!
डॉक्टरों के मुताबिक, बहुत ज्यादा मात्रा में लेड का सेवन गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतें पैदा कर सकता है. इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, खून के प्रवाह में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है. फोर्टिस के डॉ. अनूप मिश्रा बताते हैं कि लेड का ज्यादा सेवन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इससे उनके विकास में रुकावट आ सकती है, पेट दर्द, नर्व डैमेज और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है.

बताते चलें कि एमएसजी का इस्तेमाल चाइनीज फूड में फ्लेवर का असर बढ़ाने के लिए किया जाता है. फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, यदि प्रोडक्ट में एमएसजी का इस्तेमाल किया गया है, तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है. इससे मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं.

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