
4 दिनों के महापर्व छठ में आज सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जा रहा है. आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए देशभर के घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. पटना से लेकर मुंबई तक श्रद्धालु विधि-विधान से पूजा पाठ में जुटे हैं. कल चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती उपवास खोलेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे.
छठ पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूरज की भी वंदना की जाती है, जल अर्पित किया जाता है. प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो भारत के पूर्वांचल इलाके में ही मनाया जाता था लेकिन ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बन चुका है.
छठ पर राशि के अनुसार करें सूर्य को अर्पण, पूरी होगी हर मनोकामना
पटना से लेकर दिल्ली और मुंबई तक नदी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. चार दिनों के इस महापर्व में छठ व्रती 36 घंटे का कठिन उपवास करते हैं. पर्व के दौरान मन और शरीर की शुद्धता की बड़ी अहमियत है. मान्यता है कि छठी मइया की बच्चों पर विशेष कृपा होती है...इसलिए संतान की सलामती का आशीर्वाद पाने के लिए भी इस व्रत की बड़ी अहमियत है.
क्या है अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
आज डूबते सूर्य को शाम 5 बजकर 36 मिनट तक अर्घ्य दिया जा सकेगा.
और कल यानि शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से सूर्य को अर्घ्य देने का वक्त है.
कल सुबह के अर्घ्य के बाद व्रती उपवास खोलेंगे और छठ का प्रसाद ग्रहण करेंगे.
क्यों है डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा
उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में है. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ढलते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है.
सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं. सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होती है. दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है. शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है. शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है. जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी ज़रूर करें.
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इंसानी जिंदगी हर तरह की परेशानी दूर करने की शक्ति रखती है. फिर समस्या सेहत से जुड़ी हो या निजी जिंदगी से. ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है.
इन लोगों को अस्त होते सूर्य को ज़रूर अर्घ्य देना चाहिए-
जो लोग बिना कारण मुकदमे में फंस गए हों.
जिन लोगों का कोई काम सरकारी विभाग में अटका हो.
जिन लोगों की आँखों की रौशनी घट रही हो.
जिन लोगों को पेट की समस्या लगातार बनी रहती हो.
जो विद्यार्थी बार-बार परीक्षा में असफल हो रहे हों.