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क्या है उद्धव ठाकरे के मन की बात, प्रेस कॉन्फ्रेंस में तल्ख दिखे तेवर

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी शिवसेना अध्यक्ष ने वही पुराने तल्ख तेवर दिखाए, जो वह चुनाव के पहले से दिखाते आ रहे हैं. शिवसेना अध्यक्ष के मन में क्या है, इस पर भी उन्होंने खुलकर बोला. उद्धव ने साफ किया कि वह अपने 50-50 के फॉर्मूले पर अडिग हैं.

शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे (फोटोः ANI) शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे (फोटोः ANI)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 24 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

  • उद्धव बोले- मुख्यमंत्री पद का सवाल अहम
  • जरूरत पड़ी तो अमित शाह भी आ सकते हैं

महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में आए हैं. भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन ने आराम से पूर्ण बहुमत के आंकड़े को छू लिया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 105 सीटें जीती हैं. उसकी गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की जोड़ी जीती जरूर है लेकिन नतीजे वैसे नहीं रहे जैसी उन्हें उम्मीद थी.

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एनडीए सरकार की तस्वीर साफ होने के बाद गुरुवार की शाम शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी शिवसेना अध्यक्ष ने वही पुराने तल्ख तेवर दिखाए, जो वह चुनाव के पहले से दिखाते आ रहे थे. शिवसेना अध्यक्ष के मन में क्या है, इस पर भी उन्होंने खुलकर बोला. उद्धव ने साफ किया कि वह अपने 50-50 के फॉर्मूले पर अडिग हैं. मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? ये बड़ा सवाल है. यह मसला अहम है.

शिवसेना अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी यहां आ सकते हैं. शिवसेना अध्यक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से एक बात साफ हो गई कि वह नरमी बरतने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है. शिवसेना ने हमेशा ही प्रदेश की सियासत में बड़े भाई की भूमिका की मांग की है. पिछले चुनाव में इसी खींचतान में सीटों पर तालमेल न होने के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. हालांकि बाद में भाजपा 122 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, तब चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद शिवसेना सरकार में शामिल हुई थी.

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बदले हालात में उद्धव की प्रेशर पॉलिटिक्स

इस बार हालात अलग हैं. बीजेपी 122 सीटों से गिरकर 105 सीट पर सिमट गई है. वहीं शिवसेना पिछली दफे जीती 63 सीटों के आंकड़े दूर है है. ऐसे में उद्धव को लग रहा है कि भाजपा पर दबाव बनाने का यही सही समय है. बता दें कि चुनाव से पहले भी भाजपा, शिवसेना को उपमुख्यमंत्री का पद ऑफर करती रही है, लेकिन सेना मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए है. उद्धव के तेवर से एक बात तो स्पष्ट है कि शिवसेना भाजपा को कम से कम पिछली बार की तरह आराम से सरकार नहीं चलाने देगी.

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