
भाजपा शिवसेना गठबंधन में जारी तनाव के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने अपनी सरकार के लिए कोई खतरा होने की आशंका को नकारा है. फड़नवीस ने दावा किया कि शिवसेना बाहर नहीं जाएगी तथा उनका गठबंधन पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगा.
पांच साल चलेगी सरकार
फड़नवीस ने कहा कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है जहां उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना एवं भाजपा को रास्ते अलग करने पड़ें. फड़नवीस ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा, ‘मैं सौ प्रतिशत निश्चिंत हूं. मुझे नहीं लगता कि शिवसेना बाहर जाएगी. हमारी सरकार पांच साल तक चलेगी.’ मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी दोनों गठबंधन भागीदारों के बीच बढ़ते तनाव के मध्य आयी है. शिवसेना के दबाव के चलते मुंबई पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था.
गुलाम अली, कुलकर्णी मुद्दे पर विवाद
शिवसैनिकों द्वारा ओआरएफ प्रमुख सुधीन्द्र कुलकर्णी का चेहरा काला किए जाने को लेकर भाजपा एवं शिवसेना के संबंधों में और तल्खी आ गयी. कुलकर्णी पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक को जारी करने का कार्यक्रम आयोजित करने के विरोध में यह हमला किया गया था. इस घटना को लेकर फड़नवीस ने अपने गठबंधन सहयोगी को आड़े हाथ लिया था और इस आयोजन के लिए सुरक्षा मुहैया करायी थी. इसके कारण शिवसेना की भृकुटि तन गयी थी.
तनाव का कोई मुद्दा नहीं
फड़नवीस ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम किसी गंभीर बिन्दु पर पहुंचे हैं जहां हम रास्ते अलग कर लें. इस तरह की बिल्कुल भी स्थिति नहीं है. हमारी इस सप्ताह कैबिनेट बैठक हुई जिसमें शिवसेना के मंत्रियों ने भाग लिया. इसके बाद हमारी अनौपचारिक बैठक भी हुई. लिहाजा कृपया मन से यह धारणा निकाल दीजिये कि उद्धवजी 22 अक्टूबर को समर्थन वापस लेने की घोषणा करने जा रहे हैं. सरकार नहीं गिरेगी और पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.’ शिवसेना 22 अक्टूबर को अपनी वार्षिक दशहरा रैली आयोजित करेगी जिसमें उद्धव द्वारा पार्टी के भावी कदम की घोषणा की संभावना है.
चुनाव से पहले से जारी है गतिरोध
भाजपा के साथ शिवसेना का मन उसी समय से खट्टा होना शुरू हो गया था जब पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया था और इसके बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. हालांकि बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हो गयी लेकिन उसकी यह शिकायत बरकरार रही कि भाजपा उसे समुचित सम्मान नहीं दे रही है.