
मराठा आरक्षण विवाद के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई. यह बैठक मुंबई में हुई. इसमें पार्टी के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल रहे. इस बैठक के बाद बीजेपी विधायक विनोद तावड़े ने बताया कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण के मसले पर सभी विधायकों से जानकारी ली है.
उन्होंने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी मराठा समुदाय के साथ है. मराठा युवाओं के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं. मराठा युवाओं को इन योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए सभी बीजेपी विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में हेल्प सेंटर शुरू करेंगे. इसके अलावा सभी विधायक मराठा समुदाय के लोगों से कानून को अपने हाथ में नहीं लेने और हिंसा नहीं करने की अपील करेंगे.
इससे पहले कोटा मुद्दे पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके बाद उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद सदन का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एम जी गायकवाड़ की अध्यक्षता में यह आयोग मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण कर रही है. आयोग अपनी रिपोर्ट चार महीने में सौंपेगा.
नहीं होगी कानून की अनदेखी- फडणवीस
इससे पहले फडणवीस यह कह चुके हैं कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर काम कर रही है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी नहीं की जा सकती है. वहीं, महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार जल्दबाजी में कोई ऐसा फैसला लेकर समुदाय को 'मूर्ख' नहीं बनाना चाहती जिससे बाद में लंबी अदालती लड़ाई लड़नी पड़े.
मुनगंटीवार ने यहां पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए सभी उचित प्रक्रियाओं पर जोर दिया जा रहा है. राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है, नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहा है.
सरकार समुदाय को मूर्ख नहीं बनाना चाहती
मुनगंटीवार ने कहा कि आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए कानूनी ढांचा मजबूत होना चाहिए ताकि इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सके. उन्होंने कहा, 'सरकार जल्दबाजी में निर्णय लेकर और उन्हें कुछ दिनों की खुशी देकर समुदाय को मूर्ख नहीं बनाना चाहती है, जिसके बाद वे कानूनी लड़ाई में उलझ जायेंगे.'
मंत्री ने कहा कि आरक्षण प्रदर्शनकारियों को यह समझना चाहिए कि सरकार एक योजना पर गंभीरता के साथ काम कर रही है और उन्हें प्रदर्शन करके इस कवायद में कोई बाधा नहीं डालनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोगों को विरोध प्रदर्शन करने की आजादी है लेकिन ये शांतिपूर्ण ढंग से किए जाने चाहिए.
6 लोग कर चुके आत्महत्या
महाराष्ट्र की 12 करोड़ आबादी का 30 फीसदी हिस्सा मराठा समुदाय का है. राज्य में पिछले 11 दिन से चल रहे विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है. उनकी मांगों में नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण, कोपर्डी बलात्कार मामले के आरोपियों को मौत की सजा और एसएसटी कानून के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए उसमें संशोधन करना शामिल है. आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान राज्य में अभी तक 6 लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा लातूर जिले में 8 प्रदर्शनकारियों ने आत्मदाह की भी कोशिश की.