
महाराष्ट्र की सत्ता के सिंहासन पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे विराजमान होने जा रहे हैं. उद्धव ठाकरे गुरुवार को शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की सियासत में ऐसे पहले नेता हैं, जो बिना किसी चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचने जा रहे हैं. देश में ऐसा करिश्मा रचने वाले पहले नेताओं में बिहारी की राबड़ी देवी और गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी शामिल हैं.
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक अलग मुकाम हासिल किया है. उद्धव ठाकरे अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक बालासाहब ठाकरे का बड़ा सपना साकार करने जा रहे हैं. महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री शिवसेना का कोई शिवसैनिक नहीं बल्कि खुद शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे बनने जा रहे हैं. हालांकि पिता के सपने को सकार करने के लिए उन्हें करीब 30 साल पुरानी अपनी साथी बीजेपी से नाता तोड़ना पड़ा है और वैचारिक विरोधी कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाना पड़ा है.
उद्धव ठाकरे पिछले 19 सालों की राजनीति अपने पिता की विरासत संभाल रहे हैं. खास बात ये है कि उद्धव ने आजतक न तो कई चुनाव नहीं लड़ा और न ही सरकार में कोई पद लिया है. जबकि, शिवसेना इस दौर में केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार में शामिल रही है. इसके बावजूद उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई और अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ऐसे में उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा या फिर विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुनकर आना होगा.
राबड़ी देवी ने कर दिखाया था करिश्मा
उद्धव ठाकरे से पहले यह करिश्मा करने वाले देश में पहली नेता राबड़ी देवी बनी थीं. राबड़ी देवी मार्च 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री बनी थीं, उस समय वह कोई भी सदन की सदस्य नहीं थीं. इतना ही नहीं वह न तो इससे पहले कोई चुनाव लड़ी थीं और न ही सरकार में किसी पद पर थीं. 1997 में लालू यादव बिहार के सीएम थे और चारा घोटाले मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था. ऐसे में लालू की सियासी विरासत संभालने के लिए राबड़ी देवी आगे आई थीं और मुख्यमंत्री बनी थीं. इसके बाद वह विधान परिषद के जरिए सदस्य बनी थीं.
नरेंद्र मोदी के नाम दर्ज है इतिहास
राबड़ी देवी के बाद नरेंद्र मोदी 2001 में गुजरात से सीएम बने थे. मोदी इससे पहले न तो कई चुनाव लड़े थे और न ही सरकार में कोई पद लिया था. हालांकि बीजेपी संगठन में जरूर सक्रिय थे और अहम पद पर जिम्मेदारी निभा रहे थे. बीजेपी ने 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को सीएम पद की जिम्मेदारी दी थी. इसके बाद राजकोट विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य बने थे. इसके बाद से 2014 तक लगातार वह गुजरात के सीएम रहे.
उद्धव ठाकरे का सियासी सफर
बता दें कि महाराष्ट्र के सीएम बनने जा रहे हैं उद्धव ठाकरे साल 2000 से पहले तक राजनीति से दूर रहे. इससे पहले वह शिवसेना के मुखपत्र- सामना का काम देखते थे और इस अखबार के संस्थापक भी रहे. बाल ठाकरे की सेहत खराब रहने के बाद उद्धव राजनीति में एक्टिव हुए और 2002 में राजनीति में उद्धव ठाकरे को पहली सफलता तब मिली, जब उनके नेतृत्व में शिवसेना ने बीएमसी चुनाव में बड़ी जीत हासिल की.
बाल ठाकरे के बाद शिवसेना का उत्तराधिकारी कौन होगा? इसके लिए उन्हें अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से लड़ाई भी लड़नी पड़ी. इसके बाद 2003 में उद्धव ठाकरे शिवसेना कार्यकारी अध्यक्ष बन गए. इसी का नतीजा यह हुआ कि चचेरे भाई राज ठाकरे ने साल 2006 में शिवसेना से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली.
इसके बावजूद उद्धव ठाकरे अपने पिता की तर्ज पर सियासत करते रहे. वह न तो चुनावी मैदान में उतरे और न ही कोई पद लिया, लेकिन 2019 के चुनाव में पहली बार उन्होंने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारा. इसी के बाद साफ हो गया था कि शिवसेना की नजर सीएम पद पर है, जिसे अब उद्धव ठाकरे अमलीजामा पहनाने जा रहे हैं.