Advertisement

शिवसेना क्यों नहीं कर सकती CM पद पर रार? क्या NCP फिर चलेगी बाजी

पांच साल पहले दोनों पार्टियां अलग चुनाव लड़ी थीं, लेकिन इस बार दोनों साथ चुनाव लड़ीं. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनकर उभरी, लेकिन पिछली बार जैसा चमत्कार नहीं हुई. बीजेपी की ताकत कमजोर हुई तो शिवसेना ने अपनी आवाज में दम बढ़ाया है और आंखें तरेरना शुरू कर दिया है.

क्या बीजेपी पर दबाव बनाएगी शिवसेना? क्या बीजेपी पर दबाव बनाएगी शिवसेना?
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 25 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

  • महाराष्ट्र में फिर बनी BJP-SS सरकार
  • शिवसेना ने फिर रखी CM पद की मांग
  • पिछली बार एनसीपी ने चली थी समर्थन की बाजी

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की जोड़ी ने एक बार फिर बहुमत हासिल कर लिया है. पांच साल पहले दोनों पार्टियां अलग चुनाव लड़ी थीं, लेकिन इस बार दोनों साथ चुनाव लड़ीं. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनकर उभरी, लेकिन पिछली बार जैसा चमत्कार नहीं हुई. बीजेपी की ताकत कमजोर हुई तो शिवसेना ने अपनी आवाज में दम बढ़ाया है और आंखें तरेरना शुरू कर दिया है. लेकिन क्या भाजपा शिवसेना के आगे झुकने को तैयार होगी, इसपर हर किसी की नजर है. या एक बार फिर पांच साल पहले जैसा नज़ारा मिलेगा, जहां एनसीपी ने दोनों के बीच में एंट्री मार दी थी.

Advertisement

नतीजों के बाद शिवसेना ने दिखाया दम

गुरुवार को आए नतीजों के बाद जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मीडिया के सामने आए तो उन्होंने एक ही बात को बार-बार दोहराया और कहा कि इस बार 50-50 के फॉर्मूले पर आगे बढ़ा जाएगा और किसी भी तरह नहीं झुका जाएगा. वहीं देवेंद्र फडणवीस ने भी बयान दिया था कि शिवसेना से जो तय हुआ है, वही होगा अभी भी पहले जैसी ही स्थिति है.

महाराष्ट्र में क्या कमजोर हुई है भाजपा?

शिवसेना का नतीजों के बाद इस तरह का आक्रामक रुख अपनाना इसलिए भी सामने आ रहा है क्योंकि बीजेपी की सीटें इस बार कम हुई हैं. 2014 में अकेले दम पर लड़ने वाली बीजेपी ने 122 सीटें हासिल की थीं, लेकिन इस बार बीजेपी 105 ही जीत पाई. हालांकि, शिवसेना ने भी इस बार अपनी सीटें गवाईं हैं और वह 63 के आंकड़े से 56 पर आ गई है.

Advertisement

मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ेगी शिवसेना या फिर...

शिवसेना ने चुनाव प्रचार के दौरान आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी, लेकिन जितनी सीटें आई हैं उससे वह मुमकिन होता नहीं दिख रहा है. लेकिन शिवसेना अब भी 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ गई है. ऐसे में वह CM पद के लिए क्या रुख करती है वो देखने लायक होगा.

लेकिन शिवसेना के लिए ये इतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि 2014 में जब शिवसेना ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने से इनकार किया था तब एनसीपी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए स्थिर सरकार के लिए बीजेपी का साथ देने की बात कही थी. जिसके बाद शिवसेना पर दबाव बना और वह बीजेपी के साथ आ गई.

अब एक बार फिर वैसी ही स्थिति है, शिवसेना बीजेपी पर दबाव बना रही है. लेकिन क्या एनसीपी फिर एक बार अपना पांच साल पुरानी बाजी चलेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement