
महाराष्ट्र की जनता का फैसला 24 अक्टूबर को सामने आ गया था, लेकिन अब तक राज्य को नई सरकार नहीं मिल पाई है. भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के गठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनता ने तो पर्याप्त सीटें दी हैं, लेकिन दोनों दल अपनी-अपनी शर्तों के हिसाब से सरकार बनाने के मूड में हैं. इसका नतीजा ये हुआ है कि राज्य के पूरे सियासी समीकरण बदल गए हैं. अब कांग्रेस-शिवसेना गठबंधन भी सत्ता की पिक्चर में आ गया है और लंबे समय से चली आ रही ये खींचतान दिल्ली तक पहुंच गई है.
जानकारी है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज दिल्ली पहुंचकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. फडणवीस का यह प्लान ऐसे वक्त में बना है जब सहयोगी शिवसेना ने खुले तौर पर अपने बागी रुख सामने रख दिए हैं. रविवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है यानी वह सरकार बनाने की स्थिति में है. सिर्फ इतना ही नहीं, शिवसेना सार्वजनिक तौर पर बीजेपी की आलोचना भी कर रही है और उसके नेता महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से होने का दावा कर रहे हैं.
शिवसेना ने किस आधार पर किया पूर्ण बहुमत का दावा
शिवसेना नेता संजय राउत के पूर्ण बहुमत वाले बयान को अगर देखा जाए तो बीजेपी को छोड़कर उसे कांग्रेस और एनसीपी दोनों का समर्थन मिलने के बाद ही ये सीट संख्या बन सकती है. शिवसेना को इन दोनों दलों के समर्थन की चर्चा भी गरम है और इस बीच एनसीपी के प्रमुख शरद पवार भी आज दिल्ली पहुंच रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार महाराष्ट्र मुद्दे पर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे.
सोनिया से पवार की मुलाकात क्यों है अहम
दरअसल, बीजेपी के खिलाफ शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर महाराष्ट्र के नेता लगातार बयान दे रहे हैं. एनसीपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं की तरफ से इस बात के संकेत भी दिए जा चुके हैं. रविवार को ही एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा है कि शिवसेना का अगला मुख्यमंत्री होना मुमकिन है. हालांकि, समर्थन के सवाल पर उन्होंने गेंद शिवसेना के पाले में डालते हुए कहा कि शिवसेना पहले अपनी भूमिका साफ करे, उसके बाद एनसीपी अपनी स्थिति भी स्पष्ट कर देगी.
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एनसीपी के नेता भले ही खुले तौर पर कुछ कहने से बच रहे हों, लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर शिवसेना के साथ सरकार बनाने की मांग कर चुके हैं. हालांकि, राम मंदिर जैसे बड़े मुद्दे को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ऐसे प्रस्ताव पर पूरी तरह सहमत नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में आज होने जा रही सोनिया गांधी और शरद पवार की मुलाकात काफी अहम है.
दूसरी तरफ सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी किसी भी कीमत पर सत्ता खिसकने नहीं देना चाहती है. लिहाजा अब जानकारी ये आ रही है कि बीजेपी ने शिवसेना को नया ऑफर भी दे दिया है. बताया जा रहा है कि बीजेपी शिवसेना को अब डिप्टी सीएम के साथ 16 मंत्री पद दे सकती है, जिसमें राजस्व और PWD जैसे अहम मंत्रालय भी शामिल हैं.
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अब देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना को मनाने के लिए अमित शाह और फडणवीस की मुलाकात में क्या सत्ता की भागीदारी को लेकर कोई और फैसला लिया जा सकता है या कांग्रेस-एनसीपी विपक्ष में बैठने के बजाय शिवसेना के साथ सत्ता का हिस्सा बनेगी.