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शिवसेना का BJP पर निशाना- 105 वालों की मानसिकता ठीक नहीं, कुछ लोगों के पेट में दर्द

शिवसेना के मुखपत्र सामना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए एक लेख छापा है. सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र में नए समीकरण से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. कौन वैसे सरकार बनाता है देखता हूं, इस प्रकार की भाषा बोले जा रहे हैं, श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो वैसे और कितने दिन टिकेगी, देखते हैं.

संजय राउत और उद्धव ठाकरे (Photo- PTI) संजय राउत और उद्धव ठाकरे (Photo- PTI)
aajtak.in
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  • 16 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

  • महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर मुखपत्र 'सामना' में बीजेपी पर प्रहार
  • 'सामना' ने लिखा- नए समीकरण बनते देख कई लोगों के पेट में दर्द शुरू

महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने का रास्ता तकरीबन साफ हो गया है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) भी बन गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच मंत्रियों को लेकर 14-14-12 का फॉर्मूला भी तय हो गया है. साथ ही यह भी तय हो गया है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा किया है. वहीं, शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए एक लेख छापा है.

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मुखपत्र 'सामना' ने लिखा है कि महाराष्ट्र में नए समीकरण से कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया है. कौन वैसे सरकार बनाता है देखता हूं, इस प्रकार की भाषा बोले जा रहे हैं, श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो वैसे और कितने दिन टिकेगी, देखते हैं. ऐसा 'भविष्य' भी बताया जा रहा है कि 6 महीने से ज्यादा सरकार नहीं टिकेगी. ये नया धंधा लाभदायक भले हो, लेकिन ये अंधश्रद्धा कानून का उल्लंघन है.

'105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक'

'सामना' ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए ये हरकत महाराष्ट्र के सामने आ रही है. हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं, ऐसा किसी को लगता होगा तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं. ये मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. ऐसी स्थिति ज्यादा समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी. कल आए नेता को जनता पागल या मूर्ख साबित करे ये हमें ठीक नहीं लगता. एक तो नरेंद्र मोदी जैसे नेता के नाम पर उनका खेल शुरू है और इसमें मोदी का ही नाम खराब हो रहा है.

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'सामना' ने लिखा, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है और राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 105 वालों का आत्मविश्वास इस प्रकार झाग बनकर निकल रहा है मानो मुंबई किनारे के अरब सागर की लहरें उछाल मार रही हों. पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने विधायकों को बड़ी विनम्रता से कहा कि बिंदास रहो, राज्य में फिर से भाजपा की ही सरकार आ रही है. कल ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि राज्य में जिसके पास 145 का आंकड़ा है उसकी सरकार आएगी और ये संवैधानिक रूप से सही है.

'105 वाले राज्यपाल से मिलकर साफ कर चुके हैं'

'सामना' ने आगे लिखा, अब जो ऐसा कह रहे हैं कि अब भाजपा की सरकार आएगी वे 105 वाले पहले ही राज्यपाल से मिलकर साफ कह चुके हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है, इसलिए सरकार बनाने में हम असमर्थ हैं, ऐसा कहने वाले राष्ट्रपति शासन लगते ही 'अब सिर्फ हमारी सरकार है' ये किस मुंह से कह रहे हैं? जो बहुमत उनके पास पहले नहीं था वो बहुमत राष्ट्रपति शासन के सिलबट्टे से वैसे बाहर निकलेगा? यह सवाल तो है ही लेकिन हम लोकतंत्र और नैतिकता का खून कर 'आंकड़ा' जोड़ सकते हैं, जैसी भाषा महाराष्ट्र की परंपरा को शोभा नहीं देती. फिर ऐसा बोलने वाले किसी भी पार्टी का हो. राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार लगाने का मंसूबा अब साफ हो गया है.

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'नेपोलियन और सिकंदर जैसे योद्धा भी आए और गए'

'सामना' ने लिखा, स्वच्छ और पारदर्शी काम करने का वचन देने वालों का यह झूठ है और ये बार-बार साबित हो रहा है. सत्ता या मुख्यमंत्री पद का अमरपट्टा लेकर कोई जन्म नहीं लेता. खुद को विश्वविजेता कहने वाले नेपोलियन और सिकंदर जैसे योद्धा भी आए और गए. श्रीराम को भी राज्य छोड़ना पड़ा. औरंगजेब आखिर जमीन में गाड़ा गया, तो अजेय होने की लफ्फाजी क्यों? एक तरफ फडणवीस 'राज्य में फिर से भाजपा की ही सरकार' का दावा करते हैं और दूसरी तरफ नितिन गडकरी ने क्रिकेट का रबड़ी बॉल राजनीति में फेंक दिया है. क्रिकेट और राजनीति का आखिरी कुछ नहीं होता. किसी भी क्षण फैसला बदल सकता है. एक समय हाथ से निकले मुकाबले में जीत मिल सकती है', ऐसा सिद्धांत गडकरी ने जाहिर किया है.

' गडकरी का क्रिकेट से संबंध नहीं'

'सामना' ने आगे लिखा, गडकरी का क्रिकेट से संबंध नहीं है. उनका संबंध सीमेंट, इथेनॉल और कोलतार आदि वस्तुओं से है. संबंध है तो शरद पवार और क्रिकेट का है. अब पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव बन गए हैं, इसलिए भाजपा का क्रिकेट से अधिकृत संबंध जोड़ा गया है. गडकरी कहते हैं उस प्रकार से क्रिकेट में आखिर तक कब क्या होगा, इसका कोई भरोसा नहीं. आजकल क्रिकेट खेल कम और धंधा ज्यादा बन गया है और क्रिकेट के खेल में भी राजनीति की तरह 'घोड़ाबाजार' शुरू है. राजनीति में सट्टा बाजार का जोर है. ऐसे ही क्रिकेट में भी शुरू हो जाने से 'जोड़-तोड़' और 'फिक्सिंग' का वो खेल मैदान में शुरू हो गया है, इसलिए वहां खेल की जीत होती है या फिक्सिंग जीतती है इसे लेकर संशय रहता ही है. इसलिए गडकरी द्वारा महाराष्ट्र के राजनीतिक खेल को क्रिकेट का रोमांचक खेल की उपाधि देना ठीक ही है.

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'चिल्लाने वालों का मानसिक संतुलन बिगड़ेगा'

'सामना' ने लिखा राजनीति में जिससे तटस्थ निर्णय की अपेक्षा होती है उस 'पंच' के दूसरे से मिल जाने (या मिला लिए जाने से) आशा जागृत होगी ही 'अब हमारी ही सरकार' जैसा आत्मविश्वास इसी से जागा होगा, लेकिन मैदान पर स्टंप नाम का डंडा है. उसे हाथ में लेकर जनता तुम्हारे सिर में घुसाए बिना नहीं रहेगी. 'फिर से हमारी सरकार' जैसी चिल्लाहट महाराष्ट्र के कान के परदे फाड़ रही है. इस प्रकार जनता बधिर हो जाएगी, लेकिन चिल्लानेवालों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा. हमें चिंता है, महाराष्ट्र में पागलों की संख्या बढ़ने की खबर राज्य की प्रतिष्ठा में बाधक है. हम उन सबको फिर से प्रेम पूर्वक सलाह देते हैं इसे इतना दिल से मत लगाओ. 'मानव का पुत्र जगत में पराधीन है' जैसे सत्य है वैसे ही कोई अजेय नहीं है ये भी सत्य है. महाराष्ट्र में सत्य का भगवा लहराएगा.

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