
मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मामले में महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोक का अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे. अब अंतिम सुनवाई 17 मार्च को होगी.
याचिका में कहा गया है कि इंदिरा साहनी मामले में संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50% कैप का उल्लंघन हुआ है. महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था.
इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
जुलाई 2019 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने मराठाओं को नौकरियों और शिक्षा में दिए गए आरक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. तब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आरक्षण पर पूर्वव्यापी प्रभाव के फैसले पर भी रोक लगा दी थी.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिससे मराठाओं को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति मिल गई थी.
बंबई उच्च न्यायालय ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिए गए आरक्षण की वैधता को जून में बरकरार रखा था, लेकिन आरक्षण की मात्रा 16 प्रतिशत से घटा दी थी.
शिक्षा में प्रस्तावित आरक्षण को 16 प्रतिशत से 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत से नीचे लाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि उच्च आरक्षण 'उचित नहीं' है.