
महाराष्ट्र में 9 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है, लेकिन 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से अब तक ये तय नहीं हो पाया है कि महाराष्ट्र में कौन सरकार बनाएगा और कौन विपक्ष में बैठेगा. चुनाव के बाद अब सरकार बनाने के लिए पावर पॉलिटिक्स चल रही है और चर्चा के केंद्र में सबसे ज्यादा शिवसेना और उसके नेता संजय राउत हैं. लेकिन सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शरद पवार ने ऐसा बयान दिया है, जो राउत के लिए झटका माना जा सकता है.
दरअसल, रविवार को संजय राउत ने दावा किया था कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है और यह संख्या 175 तक भी पहुंच सकती है. इस दावे के साथ ही राउत ने महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से होने की बात कही थी. राउत के इस बयान पर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने भी कहा था हां ये मुमकिन है. लेकिन सोमवार को जब एनसीपी के चीफ शरद पवार दिल्ली में सहयोगी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर निकले तो उनका बयान शिवसेना के लिए मुफीद नहीं था.
शरद पवार ने बताया कि शिवसेना की तरफ से किसी ने मुझसे बात नहीं की है. शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात पर शरद पवार ने कहा कि वो राज्यसभा में मेरे साथी सदस्य हैं. लेकिन अगर कोई राजनीतिक चर्चा होगी तो वो सिर्फ शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे से होगी, किसी और से नहीं.
पवार के बयान से साफ है कि संजय राउत भले ही कुछ भी बयान देते रहें, लेकिन मिलकर सरकार गठन करने का अगर कोई निर्णय होता है तो उसके लिए सिर्फ उद्धव ठाकरे से बातचीत होगी. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर संजय राउत कौन से 170 विधायकों के समर्थन की बात कर रहे थे. क्योंकि महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 105 बीजेपी, 56 शिवसेना, 54 एनसीपी, 44 कांग्रेस, 2 AIMIM, 3 बहुजन विकास अघाड़ी, 13 निर्दलीयों और 11 अन्य के पास हैं.
यानी कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन के बिना ऐसी कोई सूरत नहीं बन रही है, जिसके आधार पर शिवसेना पूर्ण बहुमत होने का दावा कर सके.
अब सवाल यहीं आकर अटक गया है कि महाराष्ट्र में सरकार कौन बनाएगा, क्योंकि बीजेपी और शिवसेना अपनी-अपनी जगह अड़े हुए हैं, जबकि सूबे में विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है.