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महाराष्ट्र की सत्ता के तीन केंद्र, जिन पर टिकी रहेगी उद्धव सरकार

महाराष्ट्र जैसे विशाल प्रदेश को चलाने के लिए तीन-तीन सत्ता केंद्र अपने-अपने स्तर पर काम कर सकते हैं. इसमें पहले स्थान पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरें होंगे तो दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमश: अजित पवार और आदित्य ठाकरे का नाम है.

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनाए गए आदित्य ठाकरे (PTI) महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनाए गए आदित्य ठाकरे (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

  • 32 दिनों बाद महाराष्ट्र में उद्धव कैबिनेट का विस्तार
  • शिवसेना के 12 विधायकों को मंत्री परिषद में जगह
  • एनसीपी के 14 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे सहित 35 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें कैबिनेट के 25 और राज्यमंत्री के 10 पद शामिल हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने रिकार्ड बनाते हुए चौथी बार उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 37 दिन में उन्होंने दूसरी बार इस पद की शपथ ली है. शिवसेना सुप्रीमो और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य भी मंत्री बनाए गए हैं.

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शपथ ग्रहण में खास बात यह रही कि इसमें कई नेताओं के बेटे, भतीजे और रिश्तेदार मंत्री बनाए गए हैं. इन सबके बीच यह चर्चा भी गर्म है कि महाराष्ट्र सरकार का सत्ता केंद्र क्या मुख्यमंत्री तक ही सीमित होगा या इसकी जड़ें कहीं और भी टिकी होंगी. जानकारों की मानें तो महाराष्ट्र जैसे विशाल प्रदेश को चलाने के लिए तीन-तीन सत्ता केंद्र अपने-अपने स्तर पर काम कर सकते हैं. इसमें पहले स्थान पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरें होंगे तो दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमश: अजित पवार और आदित्य ठाकरे का नाम है.

उद्धव की निर्णायक भूमिका

बात सबसे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की. उद्धव के मुख्यमंत्री बनने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में ये एक नए युग का आगाज हो गया है. जिस परिवार ने कभी पद से दूरी बना रखी थी, उसका एक और बेटा महाराष्ट्र की सरकार में शपथ ले चुका है. इससे उद्धव ठाकरे की 'शक्ति' का अंदाजा लगाना आसान है कि उन्होंने सत्ता के केंद्र में अपनी जगह पुख्ता तो बनाई है, साथ में बेटे को भी सियासत के अगले पायदान पर उन्होंने सेट कर दिया है.

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सरकार में उद्धव ठाकरे की अहमियत कितनी प्रबल होगी, उनके एक बयान से समझा जा सकता है. सरकार बनने से पहले एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कहा था, 'शरद पवार ने हमें सिखाया है कि विधायक कम होने के बावजूद सरकार कैसे बनानी है.' इस बयान से साफ है कि उद्धव के पाले में विधायक भले कम हों लेकिन वे सरकार बना भी सकते हैं और इसे चलाने की भी पूरी क्षमता है.

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र सरकार की असल धुरी होंगे, इसे समझने के लिए शरद पवार का भी एक बयान याद रखना चाहिए. पवार ने ऐलान किया था कि महाविकास अघाड़ी के अगले नेता उद्धव ठाकरे होंगे. सरकार बनने से पहले अघाड़ी के तीनों दलों- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में कई दौर की चर्चा चली थी. अंतिम बैठक खत्म कर शरद पवार बाहर निकले और मीडिया से साफ कर दिया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ही महाराष्ट्र की अगली सरकार बनेगी. उद्धव की पीठ पर शरद पवार का हाथ यह स्पष्ट कर देता है कि सरकार के फैसले तीनों दल भले मिल कर करें लेकिन अंतिम हामी उद्धव ठाकरे की होगी.   

सीएमओ में आदित्य ठाकरे

उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी मंत्री बनाए गए हैं. शपथ लेने के तुरंत बाद आदित्य ने 'आजतक' से कहा, 'यही वो वक्त है जो महाराष्ट्र का विकास करना है. समीकरण बदल चुका है. सत्यवादी लोग साथ हैं. सरकार चलाना आसान होगा. जनता से जो वादा किया था वही लेकर जा रहे हैं. हमने जो वचन दिए हैं, वो पूरे कर के दिखाएंगे. हमारा दिल साफ है. तीनों पक्ष में क्रेडिट वॉर नहीं है, अविश्वास का माहौल नहीं है.' आदित्य ठाकरे का यह बयान इस ओर इशारा है कि वे जानते हैं सरकार को आसानी से चलाने के लिए क्या करना है.      

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जैसा कि सूत्रों से पता चला है, उद्धव ठाकरे ने आदित्य ठाकरे के कामकाज की रूपरेखा भी खींच दी है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तर्ज पर आदित्य को मुख्यमंत्री कार्यालय का जिम्मा दिया जाएगा. केंद्र में जैसे पीएमओ के मंत्री होते हैं, ठीक वैसे ही महाराष्ट्र में सीएमओ के मंत्री होंगे और इस पर आदित्य ठाकरे काबिज होंगे. ऐसे में तय है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के हर एक काम पर आदित्य ठाकरे की निगाह होगी. मुख्यमंत्री का काम कैसे आसान हो, आदित्य ठाकरे इसे कार्यान्वित करेंगे. लिहाजा सत्ता की एक डोर यहां से भी नियंत्रित की जाएगी. जानकार बताते हैं कि आदित्य वो सारे कामकाज संभालेंगे, जिसकी उम्मीद उद्धव ठाकरे को रहेगी.    

राजनीति के 'दादा' अजित पवार

अब बात अजित पवार की. अजित पवार के सियासी हुनर का अंदाजा इससे साफ हो जाता है कि उन्होंने चौथी बार उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. वह भी 37 दिन में दूसरी बार. महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार को दादा कहा जाता है. यह नाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिला. इसे समझने के लिए उस दिन को याद रखना जरूरी है जव वे रातोंरात बीजेपी खेमें में आ गए थे और एनसीपी की पूरी पलटन उन्हें मनाने में लग गई थी.

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उद्धव ठाकरे और अजित पवार की फाइल फोटो (PTI)

महाराष्ट्र में चर्चा चल पड़ी कि जब अजित पवार का कद ऐसा नहीं है तो एनसीपी उनके मान-मनौव्वल में क्यों बेचैन दिखी. वजह ये है कि एनसीपी अब पूरी तरह अजित पवार के भरोसे है क्योंकि शरद पवार बहुत जल्द संन्यस्त होने वाले हैं. एनसीपी की बागडोर अजित पवार के हाथ जाएगी और वे महाराष्ट्र सरकार में वैसी ही भूमिका निभाएंगे जैसी उद्धव ठाकरे निभाएंगे. दोनों के काम भले अलग होंगे लेकिन दोनों अन्योन्याश्रय जरूर होंगे.

महाराष्ट्र की राजनीति में अजि्त पवार आज इस कद पर पहुंचे हैं तो इसके पीछे उनकी 30 साल की कवायद है. शरद पवार को 'ग्रासरूट लेवल' का नेता कहा जाता है तो इसके जरा भी पीछे अजित पवार नहीं हैं. बारामती ने उन्हें 7 बार लगातार जिता कर विधानसभा भेजा है. अजित पवार ऐसे नेता हैं जिन्होंने बारामती को अपने पारिवारिक गढ़ में तब्दील किया है. बारामती में 1991 से लेकर अब तक अजित पवार एकछत्र नेता बने हुए हैं. इस दौरान चार बार उप मुख्यमंत्री बनने के अलावा उनके खाते में लगभग हर मंत्रालय शामिल रहा. कृषि, जल संसाधन, बिजली, योजना और ग्रामीण मृदा संरक्षण जैसे मंत्रालय वे संभाल चुके हैं. इस लिहाज से मौजूदा सरकार का एक सत्ता केंद्र अजित पवार के पास भी देखा जा सकता है.

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