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महाराष्ट्र: भगवा, सावरकर और शिवाजी, उद्धव से हिंदुत्व की निशानी छीनेंगे राज ठाकरे?

महाराष्ट्र के बदले हुए सियासी मिजाज में शिवेसना अपनी वैचारिक विरोधी कांग्रेस और एनएसीपी के साथ खड़ी है. वहीं, अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी मानुष के साथ हिंदुत्व के प्रतीक भगवा, शिवाजी और सावरकर को अपनाया है. शिवसेना इन्हीं तीनों प्रतीकों को लेकर चलती रही है, ऐसे में राज ठाकरे क्या उद्धव ठाकरे से ये तीन निशान छीन पाएंगे.

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे  (फाइल क्रेडिट-Getty Images) एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे (फाइल क्रेडिट-Getty Images)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:38 AM IST

 

  • महाराष्ट्र में हिंदुत्व की राह पर राज ठाकरे
  • राज ठाकरे की पार्टी का झंडा भगवा

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे 'मराठी मानुष' की विचारधारा के दम पर सियासत की बुलंदी को छूने में सफल नहीं रहे हैं. यही वजह है कि अब वो अपनी राजनीतिक दशा और दिशा बदलने जा रहे हैं. राज ठाकरे ने 'मराठी मानुष' के साथ-साथ हिंदुत्व की राह पर चलने का फैसला किया है. उन्होंने अपनी पार्टी एमएनएस के झंडे को भगवा रंग दिया तो शिवाजी की मुहर को अपनाया और मंच पर सावरकर की फोटो सजाकर हिंदुत्व की दिशा में कदम बढ़ाने के मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि हिंदुत्व के इन्हीं तीनों प्रतीकों को लेकर शिवसेना महाराष्ट्र में राजनीति करती रही है. शिवसेना का झंडा भगवा है और उस पर शेर का निशान है. शिवसेना ने शुरू से ही शिवाजी महाराज को अपने राजनीतिक का आदर्श के तौर पर रखा है तो साथ में सावरकर के कट्टर हिंदुत्व को लेकर आगे बढ़ती रही है.

बीजेपी-शिवसेना की 25 पुरानी दोस्ती टूटी

शिवसेना ने हिंदुत्व की राजनीति पर चलने वाली बीजेपी के साथ मिलकर कदम ताल करती रही है. महाराष्ट्र की सियासत में दोनों 25 सालों तक एक दूसरे के साथ चले हैं, लेकिन सत्ता के सिंहासन की जंग में शिवसेना-बीजेपी की दोस्ती टूट गई है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने वैचारिक विरोधी मानी जाने वाली कांग्रेस-एनसीपी के साथ हाथ मिलाकर सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली है.

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शिवसेना की धर्मनिरपेक्ष दलों से दोस्ती

शिवेसना की मौजूदा सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी दोनों हिंदुत्व की राजनीति के बजाय धर्मनिरपेक्ष वाली सियासत करना पसंद करती है. इतना ही ही नहीं कांग्रेस और एनसीपी दोनों सावरकर के विचारों का खुलेआम विरोध करती रही हैं. कांग्रेस सावरकर के बहाने बीजेपी पर निशाना साधती रही है. हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, इस बात को मिटाया नहीं जा सकता. अगर नरेंद्र मोदी की सरकार उन्हें 'भारत रत्न' देती है तो कांग्रेस विरोध करेगी.

राज ठाकरे हिंदुत्व की राह पर

महाराष्ट्र के बदले हुए सियासी मिजाज में राज ठाकरे ने हिंदुत्व की राह पर चलने का फैसला किया. राज ठाकरे ने इसके लिए हिंदुत्व और मराठी अस्मिता के पुरोधा माने जाने वाले अपने चाचा और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की जयंती का दिन चुना. राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के पांच रंगों के झंडे को भगवा कर दिया है और साथ ही शिवाजी की मुहर को अपनाया.

राज ठाकरे ने शिवाजी-भगवा को अपनाया

राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के भगवा ध्वज पर शिवाजी की मुहर को अपनाया है. उस पर संस्कृत में लिखे श्लोक जरिए बड़ा संदेश देने की कोशिश की है. बात दें कि शिवाजी से पहले, मराठों की मुहरें फारसी में हुआ करती थी. शिवाजी ने सांस्कृतिक प्रवृत्ति शुरू की, जिसका अनुपालन उनके वंशजों और अधिकारियों ने किया.

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सावरकर की तस्वीर एमएनएस के मंच पर

राज ठाकरे ने अब इसी का अनुसरण कर हिंदुत्व और मराठा दोनों एजेंडे को एक साथ लेकर चलने का संदेश किया है. एमएनएस की ओर से महाअधिवेशन के लिए लगाए गए पोस्टर में 'महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिंदू स्वराज्य का निर्धारण करो.'  इसके अलावा राज ठाकरे ने अपने आपको हमेशा से बाल ठाकरे की हिंदुत्व की राजनीतिक के वारिस के तौर पर पेश किया है.

राज ठाकरे ने मंच पर जिस तरह से शिवाजी की मूर्ति के साथ अंबेडकर, सावित्रीबाई फुले और सावरकर की तस्वीर लगाई. इससे सीधा संकेत है कि एमएनएस अब सावरकर के जरिए अपने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाएगी. ऐसे में सवाल है कि राज ठाकरे शिवाजी, भगवा और सावरकर को भले ही अपना लिया है, लेकिन शिवसेना इन्हीं के एजेंडे पर चल रही है. ऐसे में राज ठाकरे क्या उद्धव ठाकरे से हिंदुत्व के इन तीनों प्रतीकों को छीन पाएंगे?

 

 

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