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दबाव से निपटने के मामले में बेस्ट हैं धोनी: आशीष नेहरा

आशीष नेहरा ने छोटे फॉर्मेट में काफी शानदार वापसी की. विश्व टी20 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन से वह ‘टीम आफ टूर्नामेंट’ में अपना चयन कराने में सफल रहे.

अजहरुद्दीन के बाद कई कप्तानों के साथ खेले नेहरा अजहरुद्दीन के बाद कई कप्तानों के साथ खेले नेहरा
केशव कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST

अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने ‘दबाव भरे हालात’ से निपटने में महेंद्र सिंह धोनी को सर्वश्रेष्ठ भारतीय कप्तान बताया है. उन्होंने कहा कि इस बात का पछतावा है कि इस कप्तान की ओर से साल 2009 में टेस्ट वापसी के सवाल का सकारात्मक जवाब नहीं दे सके. नेहरा को इससे 17 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने में मदद मिल सकती थी.

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दबाव में प्रदर्शन के लिहाज धोनी बेस्ट
जल्द ही 37 साल के होने वाले नेहरा ने छोटे फॉर्मेट में काफी शानदार वापसी की. विश्व टी20 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन से वह ‘टीम आफ टूर्नामेंट’ में अपना चयन कराने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि 1999 में मोहम्मद अजहरूद्दीन के अंतर्गत मेरे आगाज के बाद मैं कई कप्तानों के साथ खेला, लेकिन जब ‘कूल’ और दबाव में प्रदर्शन करने की बात आती है तो महेंद्र सिंह धोनी सर्वश्रेष्ठ हैं.

दबाव में कूल रहते हैं कैप्टन धोनी
नेहरा ने कहा कि मैं ने कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं देखा जो दबाव में इतना कूल रहता हो. नेहरा को सबसे बड़ा पछतावा इस बात का है कि वह 17 से ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल पाए. सीनियर तेज गेंदबाज ने कहा कि साल 2009 में धोनी और तब कोच गैरी कर्स्टन ने मुझसे पूछा कि क्या मैं टेस्ट में वापसी करना चाहूंगा?

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खेलना चाहिए था ज्यादा टेस्ट मैच
नेहरा ने कहा कि मैं तब 30 या 31 साल का था और मुझे सकारात्मक जवाब देना चाहिए था लेकिन मैं निश्चित नहीं था. दो साल पहले की बात है मैंने 35 साल की उम्र में मैंने छह हफ्तों में छह चार दिवसीय मैच खेले. इसलिए जब मैं पलटकर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे 17 टेस्ट मैच से ज्यादा खेलने चाहिए थे.

काफी सीनियर थे दादा और हम यंग
धोनी और सौरव गांगुली की कप्तानी में नेहरा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चुके हैं. इनके बीच तुलना के सवाल पर इस तेज गेंदबाज ने कहा कि जब हम सौरव की कप्तानी में खेले तो मैं, युवराज, वीरेंद्र सहवाग और जहीर खान बहुत युवा थे. सौरव की इच्छा हमारे लिए आदेश होती थी. क्योंकि उनके पास हमसे ज्यादा अनुभव था. अगर दादा ने कहा कि कुछ करने की जरूरत है तो हम जानते थे कि इसे पूरा होना ही था.

धोनी की कप्तानी में अधिक मजा
उन्होंने कहा कि जब मैंने 2009 में धोनी की कप्तानी में वापसी की तो मैं और अधिक परिपक्व था और मैं अपनी गेंदबाजी के बारे में ज्यादा जानने लगा था. इसलिए धोनी की कप्तानी का अनुभव काफी लुत्फ उठाने वाला रहा. यह पूछने पर कि ‘कैप्टन कूल’ आलोचना पर काफी तुनक जाते हैं तो नेहरा ने अपने कप्तान का बचाव किया.

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मीडिया पर नाराज हुए थे धोनी
बांग्लादेश के खिलाफ भारतीय टीम के जीतने के बाद एक सवाल पर धोनी आपा खो बैठे थे. उन्होंने भारतीय मीडिया पर व्यंग्य कसा था जबकि विश्व टी20 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सेमीफाइनल मैच गंवाने के बाद आस्ट्रेलियाई पत्रकार को अपने करीब बैठने के लिए आमंत्रित किया था.

सवाल पर निर्भर होता है आपका जवाब
नेहरा ने कहा कि कितनी बार आपने धोनी को आपा खोते देखा है. आप किस तरह से विशेष सवाल पूछते हो, यह भी निर्भर करता है. व्यक्तिगत रूप से बताऊं तो अखबार में जो लिखा होता है, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं इन्हें नहीं पढ़ता और न ही टीवी देखता हूं. मैं टीवी पर क्रिकेट भी नहीं देखता. शायद ही मैं कभी इंटरव्यू या मीडिया के लिए स्टेटमेंट देता हूं.

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