
प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा और अमेरिकी ग्रुप फोर्ड मोटर के बीच एक करार हुआ है जिसके तहत दोनों कंपनियां 1925 करोड़ रुपये के निवेश से संयुक्त उपक्रम (JV) बनाएंगी. यह जेवी अमेरिकी ऑटो कंपनी के उत्पादों को भारत में विकसित करेगी और उसकी मार्केटिंग और वितरण करेगी.
इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच करार पर दस्तखत हुए हैं. संयुक्त उपक्रम में महिंद्रा एंड महिंद्रा की 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि शेष हिस्सेदारी फोर्ड की होगी.
इसके अलावा, यह संयुक्त उपक्रम कंपनी फोर्ड और महिंद्रा ब्रांड के वाहनों को दुनिया के उभरते बाजार में ले जाएगा और उसकी मार्केटिंग और वितरण करेगा. इस सौदे के तहत फोर्ड के भारतीय कारोबार को संयुक्त उपक्रम में हस्तांतरित करने पर विचार किया जा रहा है.
कंपनी की चेन्नई और साणंद में असेंबली प्लांट हैं. हालांकि फोर्ड साणंद में इंजन प्लांट का परिचालन और ग्लोबल बिजनेस सर्विस यूनिट, फोर्ड क्रेडिट और फोर्ड स्मार्ट मॉबिलिटी अपने पास रखेगी.
फोर्ड क्यों कर रही अपनी रणनीति में बदलाव
गौरतलब है कि भारत में फोर्ड का कारोबार अच्छा नहीं चल रहा और काफी समय से यह चर्चा चल रही है कि फोर्ड भारत में अपना कारोबार समेटने की तैयारी कर रही है. हालांकि, फोर्ड ने अपना कारोबार यहां पूरी तरह से बंद करने की जगह संयुक्त उद्यम के द्वारा भारतीय कारोबार में बने रहने का निर्णय लिया है.
फोर्ड अमेरिका की दिग्गज कार कंपनी है और उसके शेयरधारकों का इस बात को लेकर काफी दबाव है कि कंपनी को मुनाफे में रखा जाए. इसकी वजह से दुनिया भर में अपने कारोबार का पुनर्गठन कर फोर्ड का अगले कुछ वर्षों में 11 अरब डॉलर बचाने का प्लान है.
भारत में ऑटो सेक्टर पिछले करीब एक साल से परेशान चल रहा है, क्योंकि बिक्री में लगातार गिरावट हो रही है. फोर्ड ने भारत में 2 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है. इसकी फिलहाल भारतीय बाजार में महज 3 फीसदी हिस्सेदारी है. अगस्त में फोर्ड इंडिया की बिक्री में 31.4 फीसदी की गिरावट आई है और घरेलू बाजार में कंपनी ने महज 5,517 वाहन बेचे हैं.