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जब पूरी दुनिया में समलैंगिकता को नैचुरल मानकर अपनाने की वकालत की जा रही हो और लोग समलैंगिकों को अपना रहे हैं. राजधानी दिल्ली में कुछ लाइसेंसधारी डॉक्टर अवैध तरीके से 'कन्वर्जन थेरेपी' के जरिए इलाज कर रहे हैं. हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे ने डॉक्टरों के इस रैकेट रूपी बिजनेस का भंडाफोड़ किया है.
यही नहीं दिल्ली के डॉक्टर होमोसेक्सुअल लोगों के कथित इलाज में हॉर्मोन थेरेपी और इलेक्ट्रिक शॉक का भी प्रयोग कर रहे हैं. अखबार के स्टिंग में डॉ. विनोद रैना ने 1000 से ज्यादा होमोसेक्सुअल लोगों के इलाज का दावा किया है. डॉक्टरों के लिए समलैंगिकता दिमागी बीमारी है जो सिजोफ्रेनिया या बाइपोलर डिसऑर्डर की तरह हैं, जिसका इलाज हो सकता है.
इन डॉक्टरों को होमोसेक्सुअल पुरुषों और महिलाओं के इलाज पर कोई पछतावा नहीं है. अखबार के पास डॉक्टरों से बातचीत का ऑडियो और विजुअल रिकॉर्ड मौजूद है.
कन्वर्जन थेरेपी करने वालों का दावा है कि इससे होमोसेक्सुअल लोगों को महीने भर में हेट्रोसेक्सुअल बनाया जा सकता है. इस थेरेपी की कई प्रक्रियाएं संदिग्ध है, जिसमें होमोसेक्सुअल लोगों को इलेक्ट्रिक शॉक देना, मिचली की दवाएं खिलाना और टेस्टोटेरॉन को बढ़ाने के लिए नुस्खा लिखना या टॉक थेरेपी का इस्तेमाल करना भी शामिल है. इससे होमोसेक्सुअल लोगों में डिप्रेशन, चिंता और आत्महत्या की प्रवृति पनप जाती है.
इस तरह के कथित इलाज में स्थानीय स्तर पर जाने पहचाने डॉक्टर भी शामिल है. बर्लिंग्टन क्लिनिक के डॉ. एस. के. जैन होमोसेक्सुअल लोगों के इलाज के नाम पर आयुर्वेदिक दवाएं खिलाते हैं, जबकि विनोद रैना जैसे डॉक्टर हार्मोन को बैलेंस कर इलाज करने का दावा करते हैं. वहीं ईस्ट उत्तमनगर में डॉ. दिलबाग क्लिनिक महीने भर में मात्र 2,100 रुपये में समलैंगिकता के 'पूर्ण इलाज' का दावा करता है.
महिपालपुर स्थित राधा पॉली क्लिनिक और मैक्स हॉस्पिटल में रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. नागेन्द्र कुमार ने मेल टुडे से कहा, 'होमोसेक्सुअलिटी ठीक उसी तरह जैसे व्यक्ति को शराब पीने की आदत होती है. मरीजों को Oleanz 5mg देता हूं क्योंकि मरीज डॉक्टर से मिलने के लिए अपने घर से पांव निकालने के इच्छुक नहीं होते.'
सफदरजंग एनक्लेव स्थित सेफ हैंड्स क्लिनिक के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. विनोद रैना ने कहा, 'भारत में कुछ संख्या में बच्चे यौन उत्पीड़न के शिकार हो जाते हैं और जब बड़े होते हैं तब यही बच्चे होमोसेक्सुअल हो जाते हैं. अगर कोई मरीज मेरे पास आता है और इलाज के लिए कहता है, तो मैं उसका इलाज करता हूं.'
गौरतलब है कि इस तरह की प्रैक्टिस से होमोसेक्सुअल लोगों पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के चलते भारत और विदेश दोनों जगहों पर मेडिकल संस्थाओं ने कथित थेरेपी को आपराधिक करार दिया है.