
यूपी की राजधानी लखनऊ के चर्चित आशियाना गैंगरेप केस में बुधवार को फैसला आ गया. 11 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद खुद को नाबालिग बताने वाले मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है. तीन आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि दो की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.
इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने 9 फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था. इससे पहले हार्इकोर्ट ने आरोपी की आयु के संबंध में अपना फैसला दिए जाने तक केस के निर्णय पर रोक लगा दी थी. इसके बाद जस्टिस महेंद्र दयाल ने सेशन कार्ट के निर्णय पर मुहर लगाते हुए आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग करार दिया था.
जानकारी के मुताबिक, यह मामला 2 मई, 2005 का है. उस समय गौरव और उसके पांच साथियों ने 13 साल की जाहिरा (बदला हुआ नाम) को अपनी गाड़ी में अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया. इस दौरान आरोपियों ने जाहिरा के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया था. उसे बुरी तरह सिगरेट से जलाया गया था.
गैंगरेप के बाद आरोपियों ने देर रात शहर के बीचों बीच जख्मी हालत में पीड़िता को छोड़ कर सभी आरोपी फरार हो गए. मामला पुलिस और फिर कोर्ट में पहुंचा. लेकिन गरीब परिवार से आने वाली पीड़िता के लिए आगे की कानूनी लड़ाई बेहद मुश्किलों भरी रही. आरोपी राजनीतिक रसूख से बचते रहे.
बताते चलें कि गौरव शुक्ला यूपी के प्रभावशाली समाजवादी पार्टी नेता अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना का भतीजा था. लिहाजा आरोपियों ने कानूनी दांव पेंच का पूरा फायदा उठाया. गौरव ने तो खुद को नाबालिग बता कर कानून से बचने की पूरी कोशिश की, लेकिन 11 साल बाद कोर्ट ने उसे बालिग करार दिया.
तारीख-दर-तारीख जानिए, कब-क्या हुआ
18 अक्टूबर 2005: मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला सहित आसिफ सिद्दीकी और सौरभ जैन को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग घोषित कर बाल सुधार गृह भेजा. इसके बाद में आरोपी आसिफ सिद्दीकी और सौरभ जैन जमानत पर छूटे, लेकिन दोनों की एक दुर्घटना में मौत हो गई.
5 सितंबर 2007: बालिग आरोपी अमन बख्शी और भारतेंदु मिश्र को सेशन कोर्ट से 10 साल कैद और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा.
20 अप्रैल 2006: एक अन्य आरोपी फैजान उर्फ फज्जू को बालिग घोषित कर मामला विचार के लिए सत्र अदालत को सौंपा गया.
8 अप्रैल 2010: कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को जांच कर साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की उम्र निर्धारित करने का निर्देश दिया.
15 जनवरी 2013: आरोपी गौरव शुक्ला को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बालिग घोषित किया. आरोपी की ओर से फैसले के खिलाफ अपील की गई.
22 जनवरी 2013: आरोपी फैजान उर्फ फज्जू को अदालत से उम्रकैद और जुर्माने की सजा मिली.
21 मार्च 2013: जुवेनाइल कोर्ट से बालिग घोषित मुख्य आरोपी ने सेशन कोर्ट में अपील की. इस पर दो महीने का समय देकर केस वापस जुवेनाइल कोर्ट भेजा गया. बाद में मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट पहुंची.
21 मार्च 2014: किशोर न्याय बोर्ड ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग करार दिया.
11 मार्च 2015: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग करार देने के किशोर न्याय बोर्ड के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली अपील को खारिज किया.
16 नवंबर 2015: हाई कोर्ट का इस प्रकरण में तीन महीने के भीतर सुनवाई के निर्देश.
26 नवंबर 2015: कोर्ट में मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल.