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मालेगांव धमाकाः मकोका पर साफ नहीं एनआईए, मांगी मंत्रालयों से राय

मामले में 15 अप्रैल 2015 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का एनआईए के विश्लेषण को अगर मंत्रालयों से मिली कानूनी राय का साथ मिलता है तो आरोपियों से मकोका की धाराएं हटाई जा सकेंगी.

केशव कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

मालेगांव धमाका 2008 मामले में जांच एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोपियों पर नरम पड़ने की शुरुआत कर दी है. लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और आठ अन्यों के खिलाफ महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐक्ट (मकोका) लागू करने को लेकर एनआईए ने कानून और गृह मंत्रालय से राय मांगी है. मंत्रालय इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय लेने वाली है. इस मामले में 15 अप्रैल 2015 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का एनआईए के विश्लेषण को अगर मंत्रालयों से मिली कानूनी राय का साथ मिलता है तो आरोपियों से मकोका की धाराएं हटाई जा सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पेशल कोर्ट को आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर बिना मकोका आरोपों के सुनवाई करने का निर्देश दिया था.

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फाइनल रिपोर्ट के लिए एनआईए ने मांगी मोहलत
एनआईए ने सोमवार को स्पेशल कोर्ट में अर्जी देकर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मोहलत मांगी है. ईटी की खबर के मुताबिक एनआईए के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अविनाश रसाल ने बताया कि जांच एजेंसी ने समय मांगा है और मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी. एनआईए प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने कानून के कुछ विशेष बिंदुओं पर मंत्रालयों से राय मांगी है. उसके मिलते ही हम फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर देंगे. स्पेशल कोर्ट ने इसके पहले फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो फरवरी की डेडलाइन तय की थी और ऐसा नहीं होने पर पुरोहित, साध्वी और अन्यों के खिलाफ आरोप तय करने की शुरुआत करने वाली थी.

मकोका लगाने के लिए जरूरी शर्तें
मकोका का आरोप लगाने के लिए जरूरी है कि आरोपियों का नाम दो से अधिक चार्जशीट में शामिल हो. इसके अलावा वे किसी क्राइम सिंडिकेट का हिस्सा रहे हों. पुरोहित की वकील नीला गोखले ने उसपर मकोका लगाने को चुनौती दी है. अपने आवेदन में उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल, 2015 के फैसले में मौजूदा आरोपियों के मकोका के तहत किसी अपराध में शामिल होने को लेकर गंभीर शक जताया था. पुरोहित ने लगातार कहा है कि एटीएस ने उनकी आजादी छीनने के लिए मकोका के सख्त प्रावधान गलत तरीके से लगाए हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि एनआईए ने पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वह मालेगांव मामले में जांच दो महीने के अंदर पूरी कर लेगी. इसने अभी तक जांच पूरी नहीं की है.

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मालेगांव मामले पर तब तेज हुई सियासत
मालेगांव मामले सियासत तब तेज हो गई थी जब एनआईए की स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रोहिणी सालियान ने आरोप लगाया था कि एनडीए सरकार बनने के बाद एनआईए ने उनसे केस में नर्म रुख अपनाने को कहा था. इसके बाद सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर आरोप लगाया गया था कि सालियान पर यह दबाव राजनीतिक लोगों के कहने पर डाला जा रहा है.

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