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पश्चिम बंगालः राम नवमी आयोजनों को लेकर ममता और BJP आमने-सामने

रामनवमी के समारोहों को लेकर ममता बनर्जी की अगुआई वाली पश्चिम बंगाल सरकार और बीजेपी फिर आमने सामने हैं. ममता बनर्जी ने कहा, ‘ऐसे कुछ संगठन हैं जो शस्त्रों के साथ पारंपरिक जुलूस निकालते हैं. उन्हें इसके लिए पुलिस से विशेष अनुमति लेनी होगी. सिर्फ उन्हीं संगठनों को जो पिछले 50 या 100 साल से ऐसी रैलियां निकाल रहे हैं उन्हें ही इसकी इजाजत दी जाएगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
राम कृष्ण/खुशदीप सहगल/इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 21 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST

रामनवमी के समारोहों को लेकर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार और बीजेपी फिर आमने-सामने हैं. विभिन्न भगवा संगठनों की ओर से रामनवमी के लिए सशस्त्र जुलूस निकालने की संभावना को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले से ही कमर कस ली है. बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के डीजीपी सुरजीत कार पुरकायस्थ को इस संबंध में खास निर्देश दिए. रामनवमी 25 मार्च को है.

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बीरभूम जिले में एक बैठक को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘ऐसे कुछ संगठन हैं जो शस्त्रों के साथ पारंपरिक जुलूस निकालते हैं. उन्हें इसके लिए पुलिस से विशेष अनुमति लेनी होगी. सिर्फ उन्हीं संगठनों को जो पिछले 50 या 100 साल से ऐसी रैलियां निकाल रहे हैं उन्हें ही इसकी इजाजत दी जाएगी. इसके अलावा किसी भी नई रैली को इजाजत नहीं दी जाएगी. मैं जानती हूं कि ऐसे कुछ जुलूस हावड़ा और आसनसोल में निकाले जा रहे हैं लेकिन कहीं भी उपद्रव नहीं करने दिया जाएगा. बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं इसलिए इस तरह के जुलूस, रैली दोपहर 4 बजे के बाद ही निकालने दिए जाएंगे.’  

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से ये फरमान उस दिन आया जिस दिन ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से दीवारों पर ऐसे पोस्टर लगे देखे गए जिनमें लोगों को रामनवमी की बधाई दी गई थी. मंगलवार को दुर्गापुर में उस वक्त तनाव हो गया जब तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने ऐसा एक पोस्टर देखा जिसे अज्ञात लोगों ने फाड़ दिया था. इस पोस्टर पर ममता बनर्जी की फोटो भी थी.

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बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस पूरे प्रकरण को राम ‘लीला’ का नाम दिया. घोष ने कहा, ‘अनेकों को भगवान राम रास्ते पर ले आए, ममता बनर्जी कोई अपवाद नहीं हैं.’ 

घोष ने कहा, ‘उन्होंने (ममता बनर्जी) ऐसा ड्रामा दुर्गा विसर्जन के वक्त भी किया था. बीते साल भी उन्होंने राज्य में रामनवमी के जुलूसो को रोकने के लिए पुरजोर कोशिश की थी. लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि लोगों की राय उनके साथ नहीं है तो तृणमूल नेताओं ने खुद ही तलवारें लेकर जुलूसों में हिस्सा लिया. वो जो हिजाब में फोटो खिंचवा कर पोस्ट करते हैं अचानक रामनवमी मनाने के लिए आतुर दिखते हैं. लोग उनके झांसों को समझने लगे हैं.’

घोष ने पश्चिम बंगाल सरकार को चुनौती के लहजे में कहा, ‘जुलूस राज्य भर में परंपरा के मुताबिक निकाले जाएंगे. मैं खुद भी अपने निर्वाचन क्षेत्र खड़गपुर में शस्त्र रैली में हिस्सा लूंगा. हर किसी को रामनवमी मनाने का अधिकार है. अगर उन्होंने अड़चन खड़ी की तो चीजें बिगड़ेंगी और उन्हें नतीजे भुगतने पड़ेंगे. किसी को भी अपने धार्मिक अधिकारों को पूरा करने के लिए किसी से भी कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ कानून और व्यवस्था देखने की है और वो उसी पर ध्यान दे ना कि लोगों की भावनाओं से खेलने की कोशिश करे.’

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25 मार्च को रामनवमी के आयोजनों को देखते हुए जहां पश्चिम बंगाल सरकार सतर्क रुख अपना रही है वहीं तृणमूल कांग्रेस की ओर से संचालित आसनसोल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से ऐसे अखाड़ों को 5000 रुपए दिए जा रहे हैं जो रामनवमी पर जुलूस निकालेंगे.

आसनसोल के मेयर जितेंद्र तिवारी ने कहा, ‘हम 5000 रुपए दे रहे हैं ताकि लोग रामनवमी को अच्छे तरीके से मना सकें. हमने कम से कम 50 ऐसी कमेटियों को ये आर्थिक मदद मुहैया कराई है. अभी कुछ और आवेदन आने की संभावना है. हम आसनसोल के लोगों के साथ हैं और अगर विपक्ष इसे वोट बैंक की राजनीति मानता है तो मानता रहे.’

 

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