
इस राज्य (बिहार) में भगवान तस्करों के निशाने पर हैं. तस्कर करोड़ों रुपए की मूर्तियां चुरा चुके हैं. चोरियों को रोकने में नाकाम पुलिस का रिकॉर्ड बरामदगी के मामले में भी बेहद खराब है. अकेले जनवरी 2012 में मूर्ति चोरी की छह घटनाएं हुई हैं. दिसंबर 2011 से अब तक 15 मंदिरों से 50 से ज्यादा बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं.
8 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
तस्कर कितने शातिर हैं, इसका पता हाल ही में तब चला जब 30 जनवरी की रात चोर नवादा जिले के ओड़ो गांव स्थित राम-जानकी ठाकुरबाड़ी से भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान की बहुमूल्य अष्टधातु की मूर्तियां ले गए जबकि सामान्य धातु की जानकी की मूर्ति को छोड़ दिया. इससे पहले, 27 जनवरी को गया जिले के टिकारी थाने से थोड़ी ही दूरी पर मौजूद ठाकुरबाड़ी पर चोरों ने धावा बोल दिया और पुजारी को बंधक बनाकर लगभग एक करोड़ रु. की अष्टधातु से बनी चार मूर्तियां, आधा दर्जन मुकुट और गहने भी ले गए. 2 जनवरी को वैशाली के भगवानपुर थाना के प्रतापगढ़ गांव स्थित राघव मंदिर से भी अष्टधातु की चार मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं. इससे पहले 20 दिसंबर को पटना सिटी के आलमगंज थाना के काजीबाग स्थित बांके बिहारी मंदिर से बारह मूर्तियां और 22 दिसंबर को कटिहार के नबावगंज ठाकुरबाड़ी से अष्टधातु की छह मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं. इन मामलों में पुलिस अब तक कुछ पता नहीं लगा पाई है.
1 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
लूट की इन घटनाओं से कुछ दिन पहले ही पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाई थी. 14 जनवरी को वैशाली पुलिस ने मकसूदनपुर गांव से आधा दर्जन लोगों को मूर्ति चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था लेकिन न तो मूर्तियां मिलीं, न ही चोरी की घटनाएं थमीं. बल्कि अगले ही दिन वैशाली के जरूआ स्थित राम-जानकी मंदिर से अष्टधातु की तीन मूर्तियां चोरी हो गईं.
25 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
राज्य में तकरीबन 4,000 मठ और मंदिर पंजीकृत हैं लेकिन ज्यादातर में सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है और तस्कर इसी का फायदा उठा रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में अष्टधातु की इन मूर्तियों को ऊंचे दामों में बेचते हैं. चोरी के कारण मठ और मंदिर वीरान होते जा रहे हैं. नवादा जिले के हिसुआ के नंदलाल विगहा के बावन कोठी तिरपन द्वार मंदिर में 45 साल पहले अष्टधातु की 57 मूर्तियां थीं. 1967 में यहां से 29 मूर्तियां चोरी हुई थीं. इसके बाद एक-एक करके सभी मूर्तियां चोरी चली गईं. अब यहां लकड़ी और सीमेंट की मूर्तियां है. बिहार धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं, ‘चोरी जारी रही तो आनेवाले वर्षों में मठ-मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन दुर्लभ हो जाएंगे.’
दरअसल, मूर्ति चोरी रोकना कभी पुलिस की प्राथमिकता नहीं रही. बरामदगी का रिकॉर्ड कितना खराब है इसका पता नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2010 की रिपोर्ट से ही चल जाता है. इसके मुताबिक, इस साल हुए मूर्ति चोरी के 18 मामलों में से सिर्फ 7 में बरामदगी हुई है. पिछले साल भागलपुर से 20 करोड़ रु. की मूर्तियों के साथ हुई 11 लोगों की गिरफ्तारी के मामले में तस्करी के तार बांग्लादेश और थाइलैंड से जुड़े हुए थे.
18 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखिए इंडिया टुडे
विडंबना ही है कि बरामद मूर्तियां भी कानूनी प्रक्रिया में देरी के चलते कई साल तक थानों में पड़ी धूल खाती रहती हैं. 1994 में भोजपुर के गुंडी गांव से चोरी हुई दो मूर्तियां बरामद तो कर ली गईं लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने के कारण यह पिछले 18 साल से कृष्णनगर थाने में पड़ी हैं. 21 दिसंबर, 1993 को नवादा के मड़वा से चोरी गई पंचमुखी शिव की मूर्ति को भी पांच साल बाद कुटनीबिगहा गांव से बरामद कर लिया गया था. यह भी नरहट थाने में पड़ी है.
11 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
हालांकि अब चोरी पर लगाम लगाने के लिए पुलिस कमर कसती दिख रही है. बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) रवींद्र कुमार कहते हैं, ‘मूर्ति चोरी की घटनाएं रोकने के लिए सभी एसपी को ग्रामीण स्तरीय सुरक्षा कमेटी गठित कराए जाने और मूर्ति तस्करी में शामिल रहे लोगों पर नजर रखने के लिए हिदायत दी गई है.’ लेकिन क्या पुलिस भगवान और भक्तों के भरोसे को कायम रख पाएगी, संदेह है.
30 जनवरी, 2012:
नवादा जिले के ओड़ों गांव के रामजानकी ठाकुरबाड़ी से तीन मूर्तियां.27 जनवरी, 2012: गया जिले के टिकारी थाना स्थित ठाकुरबाड़ी से एक करोड़ रु. मूल्य की अष्टधातु की चार मूर्तियां और गहने.
15 जनवरी, 2012: वैशाली नगर के जरूआ स्थित राम-जानकी मंदिर से अष्टधातु की तीन मूर्तियां.
2 जनवरी, 2012: वैशाली के प्रतापगढ़ गांव के राघव मंदिर से अष्टधातु की चार मूर्तियां.