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1962 के युद्ध में घायल सैनिकों को दिया था खून, आज दो जून की रोटी भी नसीब नहीं

हीरालाल शाह बक्सर जिले के पंचमेवदा गांव का रहने वाला है. 86 साल की उम्र में राशन कार्ड है पर राशन नहीं मिलता है. पेंशन के लिये आज लुटियन दिल्ली के नेताओं के घरों के सामने चक्कर काटना पड़ रहा है.

हीरालाल शाह हीरालाल शाह
प्रियंका झा/जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2016,
  • अपडेटेड 3:17 AM IST

बिहार के बक्सर जिले से आया 86 साल का हीरालाल शाह जो लुटियन दिल्ली में नेताओं के घरो में फरियाद लगा रहा है. फरियाद है राशन कार्ड से मिलने वाले राशन और पेंशन की. पर कोई नेता इनकी नहीं सुन रहा है. हीरालाल इस समय सरकार में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के 17 अकबर रोड पर बैठे हैं पर उनकी यहां भी कोई नहीं सुन रहा है.

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दरअसल हीरालाल के पास राशन कार्ड तो है पर उससे राशन नहीं मिलता. पेंशन भी नहीं मिलती. राशन न मिलने से पेट भी नहीं भर रहा है. ये वो शख्स है जब 1962 की लड़ाई में भारत के जवान चीन के साथ लड़ाई लड़ते हुए घायल हो गए थे, उस समय जवानो के लिए खून का आह्वान देश के नेताओं ने किया. लोग अपने घरों से निकल कर जवानों को खून देने के लिए आगे आए. उनमें से एक सख्स था हीरालाल शाह, जो आज अपने लिए दो जून की रोटी के लिये उन्ही नेताओं के घर का चक्कर काट रहा है.

हीरालाल शाह बक्सर जिले के पंचमेवदा गांव का रहने वाला है. 86 साल की उम्र में राशन कार्ड है पर राशन नहीं मिलता है. पेंशन के लिये आज लुटियन दिल्ली के नेताओं के घरों के सामने चक्कर काटना पड़ रहा है. बोलने में असमर्थ हीरा लाल शाह पिछले कुछ दिन पहले भी राजनाथ सिंह के घर बैठे रहे पर किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी. उनसे कहा गया की आप दरख्वास्त लिख कर दे दो.

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कहा- अपॉइंटमेंट लेकर आना चाहिए
उस समय भी किसी ने हीरालाल को राजनाथ सिंह से नहीं मिलवाया. इनसे कहा गया की अपॉइंटमेंट लेकर आना चाहिए. एक बार फिर हीरालाल बिना अपॉइंटमेंट के 17 अकबर रोड के सामने बैठे हुए हैं.

नीतीश कुमार-रामविलास पासवान से भी लगाई गुहार
हीरालाल शाह इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी 7 बार मिले हैं. यही नहीं बिहार राज्य से आने वाले क्रेन्द्र के मंत्री राम विलास पासवान से मिलने गए थे पर किसी ने इनकी बात नहीं सुनी. भारत सरकार ये कहती है की mygov.in में अपनी फरियाद लिखो उस पर सुनवाई होगी पर यह शख्स जो mygov.in के बारे में नहीं जानता है वो सीधे अपनी बात लेकर नेताओं के दरवाजे पर आ जाता है पर उसकी कोई नहीं सुनता.

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