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मंदसौर: पुलिस की गोली से हुई थी किसान के बेटे की मौत, पिता को इंसाफ की आस

पिछले साल भी किसानों ने एक जून से 10 जून तक आंदोलन किया था और इसका मुख्य केन्द्र मंदसौर रहा था. 6 जून को मंदसौर की पिपलिया मंडी में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हुई थी, जिसके बाद समूचे राज्य में हिंसा, लूट, आगजनी एवं तोड़फोड़ हुई थी.

फाइल फोटो फाइल फोटो
अजीत तिवारी
  • मंदसौर,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

अपनी उपजों के वाजिब दाम, कर्ज माफी और अन्य मांगों को लेकर किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी 'गांव बंद आंदोलन' का आज तीसरा दिन है. इससे पहले शनिवार को मंदसौर कृषि उपज मंडी एवं अन्य मंडियों में आज सन्नाटा पसरा रहा.

दरअसल, पिछले साल भी किसानों ने एक जून से 10 जून तक आंदोलन किया था और इसका मुख्य केन्द्र मंदसौर रहा था. 6 जून को मंदसौर की पिपलिया मंडी में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हुई थी, जिसके बाद समूचे राज्य में हिंसा, लूट, आगजनी एवं तोड़फोड़ हुई थी.

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मध्य प्रदेश के मंदसौर में पिछले किसान आंदोलन के जख्म अभी भी ताजा हैं. पीड़ित परिवार पुलिस फायरिंग में बेटे को खोने का गम अभी तक भूल नहीं पाया है. बता दें कि किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले अभिषेक की उम्र महज 17 साल थी. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से परिवार निराश है.

इधर, किसान आन्दोलन में मारे गए घनश्याम धाकड़ के परिवार का आरोप है कि उसकी मौत हिरासत में पिटाई से हुई थी. पुलिस वालों ने शव को अस्पताल में भर्ती कराया था. बता दें कि बूढ़े पिता को बेटे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है. पीड़ित परिवार ने सरकार पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया है.

इस बार आंदोलन के दौरान मंदसौर में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं. मंदसौर कलेक्टर ओ पी श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कहीं कोई परेशानी नहीं है. मंदसौर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पांच कंपनियां मंदसौर जिले में कड़ी निगरानी रख रही हैं.

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वहीं मध्य प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलीजेंस) राजीव टंडन ने बताया कि किसान आंदोलन के दूसरे दिन भी प्रदेश में कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं आई है, समूचे राज्य में शांति बनी हुई है. बता दें कि स्थिति पर नजर रखने के लिए करीब 200 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

इसी बीच, राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने कहा, 'हमने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले 'ग्राम बंद' के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोक दें और अपने ही गांव की चौपाल पर ही इन उत्पादों की शहरी लोगों को बेचें.' कक्काजी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों के आंदोलन को हिंसक बनाना चाहती है.

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