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मुजफ्फरपुर-देवरिया कांड के बाद जागा केंद्र, गैर-पंजीकृत आश्रय गृह होंगे बंद

मंत्री ने यह भी कहा था कि जिला मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टरों को जिला स्तर पर लागू ऐसे कार्यक्रमों की निगरानी की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी (फाइल फोटो) केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी (फाइल फोटो)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:28 AM IST

बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के देवरिया में बाल एवं संरक्षण गृह में हुए दुष्कर्मों की घटनाओं से पूरे देश में गुस्सा है. इस बीच केंद्र सरकार ने इस प्रकार के एनजीओ को लेकर कड़ा कदम उठाया है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश भर के बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) और आश्रय गृहों को दो महीने के भीतर सरकार के साथ पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है और साथ ही इस बीच इनका सामाजिक ऑडिट भी हो जाना चाहिए.

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मंत्रालय के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, "जो संस्थान दो महीने के भीतर पंजीकरण नहीं कराते हैं, उन्हें बंद किया जाएगा और लड़कियों को बेहतर व पंजीकृत केंद्रों में स्थानांतरित किया जाएगा. मंत्रालय ने पहले ही गैरपंजीकृत केंद्रों को बंद करना शुरू कर दिया है."

मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश भर के नौ हजार से ज्यादा सीसीआई को 60 दिनों के भीतर सामाजिक ऑडिट कराने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. यह सामाजिक ऑडिट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा, "नए प्रारूप में हालात का पूरा आंकलन किया जाएगा, इसमें बच्चे कैसे रह रहे हैं, यह भी शामिल है. इसमें केवल बुनियादी सुविधाओं पर ही नहीं गौर किया जाएगा."

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले सप्ताह राज्य और जिला स्तर पर बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) की स्थापना करने के लिए कहा था, ताकि सीसीआई और आश्रय गृहों की नियमित निगरानी की जा सके.

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