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मंगला गौरी व्रत का क्या है महत्व? जानें कथा और पूजन विधि

मंगला गौरी का व्रत करने से विवाह और वैवाहिक जीवन की हर समस्या दूर की जा सकती है. विशेषकर अगर मंगल दोष समस्या दे रहा हो तो इस दिन की पूजा अत्यधिक लाभदायी होती है.

पति की लंबी आयु के लिए भी मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है पति की लंबी आयु के लिए भी मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2020,
  • अपडेटेड 4:45 PM IST

मां मंगला गौरी की उपासना से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा होती है. मंगला गौरी का व्रत करने से विवाह और वैवाहिक जीवन की हर समस्या दूर की जा सकती है. विशेषकर अगर मंगल दोष समस्या दे रहा हो तो इस दिन की पूजा अत्यधिक लाभदायी होती है. पति की लंबी आयु के लिए भी इसे रखा जाता है. इस बार मंगला गौरी का व्रत 7 जुलाई को पड़ रहा है.

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मंगला गौरी की व्रत कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, धर्मपाल नाम का एक सेठ था. सेठ धर्मपाल के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी. वह हमेशा सोच में डूबा रहता कि अगर उसकी कोई संतान नहीं हुई तो उसका वारिस कौन होगा? कौन उसके व्यापार की देख-रेख करेगा?

इसके बाद गुरु के परामर्श के अनुसार, सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना की. खुश होकर माता पार्वती ने उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु होगी. कालांतर में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया.

इसके बाद धर्मपाल ने ज्योतिषी को बुलाकर पुत्र का नामांकरण करवाया और उन्हें माता पार्वती की भविष्यवाणी के बारे में बताया. ज्योतिषी ने धर्मपाल को राय दी कि वह अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराए जो मंगला गौरी व्रत करती हो. मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा.

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यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र और पुत्र प्राप्ति के लिए करती हैं. सेठ धर्मपाल ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत रखने वाली एक कन्या से करवा दिया. कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया. तभी से मां मंगला गौरी के व्रत करने की प्रथा चली आ रही है.

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