
चार साल पहले मोदी सरकार ने भारत की जनता से वहुत से वादे किए थे, अब हिसाब देने का समय आ गया है. ये जाहिर है कि इन तमाम वादों को पूरा करने में ये सरकार कामयाब नहीं हुई है. देश में 65 फीसदी आबादी किसानों की है. सालों से उचित दाम देने के वायदे किए गए थे वो पूरे नहीं किए गए. इस तरह से ये साफ जाहिर है कि ये किसान विरोधी सरकार है.
किसान कर्ज के नीचे दबे जा रहे हैं और हर तरफ से कर्ज को माफ करने की आवाज उठ रही है. अब समय आ गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व में हम सब एकजुट होकर राहुल जी का साथ दें देश को बदलने में. मोदी सरकार अपने किसी भी वायदे को पूरा नही कर पाई. चार साल पहले मोदी सरकार ने जो वायदे किए थे कि वो सरकार में आकर दो करोड़ से ज्यादा रोजगार के साधन उपलब्ध कराएंगे, हकीकत इसके बिल्कुल उल्टी है. बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. नौजवान परेशान हैं. बहुत से बच्चे बैंक से कर्ज लेकर पढ़ाई करते हैं. नौकरी न मिलने पर वो कर्ज कैसे वापस करेंगे. हर तरफ निराशा बढ़ रही है. कानून व्यवस्था नीचे गिर रही है.
माइनॉरिटी, दलितों, बच्चियों, महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं लेकिन सरकार का उनपर ध्यान नहीं है. मोदी सरकार आते ही पेट्रोल, गैस, डीजल के दाम घटाने का वायदा था लेकिन हकीकत उल्टी है. दूसरे देशों में क्रूड तेल की कीमतें नीचे आ गई हैं लेकिन भारत में बढ़ रही हैं जिससे आम जमता को बहुत परेशान ही रही है.
मोदी सरकार के काम करने के तरीके से देश में डेमोक्रेसी को खतरा पड़ सकता है. पिछले दिनों भारत की संसद में जो कुछ हुआ वो जनता के सामने है. महाभियोग प्रस्ताव को रोकने के लिए सरकार ने हर तरह के साधन इस्तेमाल किए. इससे साफ है कि अगर संसद नहीं काम करती तो हिंदुस्तान में डेमोक्रेसी को खतरा पड़ सकता है.
डेमोक्रेसी संविधान का एक तोहफा है इसे मजबूत करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा. आज ऐसा माहौल पैदा हो गया है जिससे संवैधानिक संस्थाओं का अपमान किया जा रहा है. संसद को काम नहीं करने दिया गया. बजट को बिना चर्चा पास करा दिया गया. महाभियोग प्रस्ताव को रोका गया इससे भारत में डेमोक्रेसी को खतरा पैदा हो रहा है.
साथ ही साथ बैंकों में जो कुछ हो रहा है वो आपके सामने है. नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे लोग हजारों करोड़ लेकर भाग चुके हैं, बैंकों की हालत खराब है. इन सब ताकतों का मुकाबला करने के लिए, डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए ये हमारा फर्ज बनता है कि हम कांग्रेस को मजबूत करें, राहुल जी का हाथ मजबूत करें, जो संघर्ष वो लेकर चले हैं उसे आगे बढ़ाएं. आखिर में मनमोहन सिंह ने 'लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई' शेर के साथ अपना भाषण खत्म किया.