हमने बिहार चुनाव में भुगता था, सो इस बार हम दोनों (बीजेपी-संघ) सतर्क थे और महज दो घंटे में समूचे विवाद पर स्पष्टीकरण हो गया.'' सुकून भरी सांस लेते हुए बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है वाली कहावत को चरितार्थ कर रही थी. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में 20 जनवरी की शाम जब संघ के वरिष्ठ नेता मनमोहन वैद्य ने कथित तौर पर आरक्षण खत्म करने की पैरवी कर दी, तो यूपी चुनाव में जुटे बीजेपी के रणनीतिकारों की जैसे सांसें ही थम गईं. वजहः बिहार चुनाव के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत का आरक्षण की समीक्षा वाला बयान पार्टी पर भारी पड़ गया था तो अब मनमोहन वैद्य के बयान से इसका अंदेशा खड़ा हो गया था. बीजेपी की यह सबसे बड़ी विडंबना है कि आरक्षण के मोहपाश में वह बार-बार फंसती रही है और संयोग से यह फांस बीजेपी के मातृसंगठन से ही आती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुरी तरह भन्ना उठे. इस पर सरकार और बीजेपी के शीर्ष रणनीतिकारों की सक्रियता बढ़ी, जयपुर के फोन घनघना उठे.
राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष अशोक परनामी को दिल्ली से पहला फोन गया जो उस वक्त जेएलएफ में संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मौजूद थे. इसके बाद सिहरा देने वाली दिल्ली की ठंडी शाम और गुलाबी ठंड के आगोश में समाई गुलाबी नगरी में पसीना छुड़ा देने वाली डैमेज कंट्रोल की कवायद देर रात तक चली. दरअसल, जेएलएफ में जाति पद्धति, आरक्षण और सच्चर रिपोर्ट से जोड़ते हुए मुस्लिम आरक्षण को लेकर सवाल पूछा गया था. इसके जवाब में वैद्य ने मुस्लिम आरक्षण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ और अलगाववाद बढ़ाने वाला बताया.
लेकिन विवाद उनके इस बयान से हुआ जिसमें उन्होंने एससी-एसटी आरक्षण के संदर्भ में डॉ. बी.आर. आंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि हमेशा के लिए आरक्षण का प्रावधान रहना उचित नहीं है और जल्द से जल्द इसकी आवश्यकता निरस्त होकर समान अवसर देने का समय लाना चाहिए. होसबाले ने वर्ण व्यवस्था को अप्रासंगिक बताया और जातिगत आरक्षण को संविधान के अनुरूप करार दिया. होसबाले इंडिया टुडे से कहते हैं, ''दोनों बातें एक ही मंच से तीन मिनट के अंतराल पर ही हुई थीं, जिसमें जातिगत आरक्षण को संघ के समर्थन की बात कही गई. लेकिन करीब घंटे भर बाद पता चला कि आरक्षण पर पूरे संदर्भ को ही बदलकर भ्रम फैला दिया गया है. चुनाव का वातावरण है इसलिए स्वाभाविक रूप से उसे चुनाव से जोड़ दिया गया, इसलिए मैंने वहीं तय किया कि इसे स्पष्ट कर देंगे और मीडिया को बुलाकर मंच पर कही गई बात स्पष्टता के साथ दोहराई.''
होसबाले के बाद वैद्य ने भी इस मामले में अपना स्पष्टीकरण दिया. लेकिन बीजेपी की धड़कनें इसलिए भी बढ़ चुकी थीं क्योंकि बिहार चुनाव के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान से पार्टी को बेहद नुक्सान हुआ था. इसलिए सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी-संघ नेताओं की चर्चा के बाद तय हुआ कि सिर्फ टीवी चैनल को दी गई सफाई से प्रिंट में छपने वाली खबर शायद रुक न पाएगी, इसलिए जयपुर रेलवे स्टेशन से वापस लौटकर होसबाले-वैद्य ने करीब साढ़े नौ बजे रात को औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण को समर्थन वाला संघ का रुख दोहराया.
इधर, दिल्ली में पार्टी और सरकार के वरिष्ठ मंत्री देर रात 2 बजे तक यह सुनिश्चित करने में लगे रहे कि मीडिया में छपने वाली खबर में संघ के पलटने वाली खबर को प्राथमिकता मिले. खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कार्यालय से प्रवक्ताओं को ताकीद कर दी गई कि संघ के मुस्लिम आरक्षण वाले बयान और जातिगत आरक्षण को लेकर खंडन को पुरजोर ढंग से बहस में रखे. इस मसले पर वैद्य कहते हैं, ''बेवजह विवाद खड़ा करने वालों से ही सवाल पूछना चाहिए. मैं अभी इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा.''
बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि विरोधियों को इतिहास में झांकना चाहिए क्योंकि आरक्षण में मजहब का उल्लेख पहली बार 1916 में हुआ था जब पृथक निर्वाचन मंडल की बात हुई थी जिसने भारत-पाक बंटवारे के बीज बोए थे और वैद्य का मंतव्य यही था. उनका कहना है कि आदिवासी और दलितों पर समूचे भारत में काम करने वाली एकमात्र संस्था संघ है इसलिए यह कहना युक्तिसंगत न होगा कि संघ की मंशा आरक्षण को खत्म करने की है.
लेकिन इन दलीलों से इतर मौजूं सवाल है जो बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी के जमाने से बहस का केंद्र रहा है. उसी समय से यह चर्चा रही है कि विशुद्ध राजनैतिक विषयों पर संघ के विचार बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं होते. अब बीजेपी सत्ता में है और राजनैतिक क्षेत्र में संघ के किसी भी ऐसे बयान का गहन छिद्रान्वेषण होना लाजिमी है. संघ के किसी विचार की प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक है, ऐसे में बीजेपी के साथ-साथ संघ को भी परिपक्वता दिखानी होगी. लेकिन अब संघ को तय करना होगा कि वह अपने राजनैतिक चेहरे बीजेपी की मजबूरी को देखते हुए संतुलित होगा या मिशनरी दिशा लेना चाहेगा.