
बीजेपी गोवा में मनोहर पर्रिकर के नाम और नेतृत्व में चुनाव की नैया पार करना चाहती है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और दूसरे बड़े नेता भी पर्रिकर के नाम पर गोवा में सरकार बनाने की बात कर रहे हैं.
गोवा में इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है और उनसे मुकाबले के लिए बीजेपी यही दिखाने में जुटी है कि यहां पर्रिकर जैसा कोई आम आदमी नहीं है. पणजी से सटे डोनापाउला इलाके की सोसाइटी के एक फ्लैट में पर्रिकर अकेले रहते हैं, जहां उनकी सुरक्षा में गोवा पुलिस का बस एक सिपाही तैनात रहता है.
गोवा में चुनाव प्रचार का तरीका बाकी राज्यों से अलग है. यहां चुनाव का शोर शराबा नहीं, बल्कि घर-घर जाकर या छोटी जनसभाओं के जरिये प्रचार हो रहा है. चुनावी सभाएं शाम को चार बजे से 8 बजे तक होती हैं. पर्रिकर के मुताबिक, गोवा के चुनाव में लोग ज्यादा तामझाम पसन्द नहीं करते.
(पढ़ें - आज गोवा की पहचान तीन 'P' पिग्स, पैग और प्रोस्टीट्यूशन : RSS के बागी )गोवा में चुनावी हलचल का पता लगाने के लिए हमनें अपने दिन की शुरुआत पणजी के भोंसले कैफे से की. इस कैफे की स्थापना 1920 में हुई, जहां सुबह के वक्त बड़ी संख्या में लोग नाश्ते के लिए आते हैं. यहां लोगों से बातचीत की, तो उन्होंने आम आदमी पार्टी को सिरे से खारिज कर दिया, जबकि कुछ ने बीजेपी और पर्रिकर की तारीफ़ की.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर पिछले एक हफ्ते में 120 से ज्यादा चुनावी सभाएं कर चुके हैं. उनके दिन की शुरुआत पार्टी नेताओं के साथ बंद कमरे में मीटिंग कर रणनीति बनाने से शुरू होती है. पणजी में पार्टी के चुनाव कार्यालय में बैठकर पर्रिकर नेताओं के साथ दिनभर की रणनीति बनाते हैं.
पर्रिकर ने पहली चुनावी सभा राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर के विधानसभा क्षेत्र मान्द्रे में की. यहां अपने भाषण में पर्रिकर ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई. इसके बाद उन्होंने वन मंत्री राजेंद्र आर्लेकर की विधानसभा पेडणे में सभा की. उनकी हर सभा में 100 से 200 लोग मौजूद होते हैं, लेकिन सब पर्रिकर को सुनना चाहते हैं.
ये सिलसिला रात 10 बजे तक चलता है. खासकर युवाओं और महिलाओं को पर्रिकर की सादगी पसंद आती है. चुनावी सभा में भाषण खत्म होने के बाद पर्रिकर लोगों से हाथ मिलाना नहीं भूलते.
गोवा में पहली बार पर्रिकर के नेतृत्व में ही बीजेपी का कमल खिला था और अब एक बार फिर बीजेपी को गोवा की सत्ता में वापसी के लिए पर्रिकर के नेतृत्व और नाम का सहारा है.