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फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी ने बिहार में फिल्म सिटी के निर्माण की मांग फिर से दुहराते हुए कहा है कि भोजपुरी फिल्मों सहित तमाम क्षेत्रीय भाषाओं के लिए बेहतर केंद्र बन सकता है.
वाजपेयी ने कहा, ‘बिहार में एक फिल्म सिटी का निर्माण होना चाहिए, ताकि यहां के कलाकारों को मौका मिल सके. सुविधा उपलब्ध रहने से फिल्में यहीं बन पायेंगी. भोजपुरी फिल्मों के अलावा तेलुगू फिल्मों की शूटिंग भी हो सकेगी. सरकार से कहने से जब हमारा नंबर आयेगा तो तुरंत काम हो जायेगा. शत्रु जी (शत्रुघ्न सिन्हा) भी फिल्म सिटी के लिए बात उठाते रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बहुत से काम करने है. इन जिम्मेदारियों से निपटते हुए सरकार फिल्म सिटी पर भी ध्यान देगी. बॉलीवुड अभिनेता ने राजनीति के मैदान में उतरने की बात पर कहा, ‘राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है. यह मेरे बस की बात नहीं है. मैं ठेठ सांस्कृतिक आदमी हूं. अभिनय के अलावा कुछ भी नहीं आता है.’
बिहार दिवस पर स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा के आरोप पर उन्होंने कहा, ‘किसे बुलाया जा रहा है किसे नहीं, यह सरकार तय करती हैं. मुझे भी एक बार न्यौता दिया गया था, लेकिन मैं उस समय बैंकाक में शूटिंग में व्यस्त रहने के कारण नहीं आ पाया था.’
सांस्कृतिक केंद्रों में बिहार की उपेक्षा का हवाला देते हुए मनोज ने कहा, ‘यहां एक सांस्कृतिक केंद्र, राष्ट्रीय नाट्य स्कूल और संगीत नाटक अकादमी भी खुलना चाहिए. हम सरकार तक अपनी बात पहुंचाते रहे हैं. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के ओएसडी से बात भी की है.’
‘दबंग’ और ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ जैसी छोटे शहरों पर आधारित सफल फिल्मों पर प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा, ‘यह बहुत अच्छी बात है कि विदेशी प्रभाव के बदले फिल्में यहां अपनी जमीन तलाश रही हैं. दर्शकों को यह भा रही है, क्योंकि दर्शक इनमें अपने आसपास के वातावरण और चीजें देखता है.’
चुनिंदा फिल्में करने वाले वाजपेयी ने कहा, ‘भोजपुरी में अभी तक कोई अच्छी पटकथा नहीं मिली है. अभी तक मेरे पास जितनी भी पटकथा आयी हैं, उन्होंने मुझे प्रभावित नहीं किया. इसलिए मैंने भोजपुरी में काम नहीं किया है. अच्छी पटकथा आयेगी तो जरूर काम करुंगा.’ उन्होंने कहा कि ‘शूट-आउट एट वडाला’ और ‘सत्याग्रह’ उनकी आने वाली फिल्मे हैं. ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ ने पिछले साल अच्छा प्रदर्शन किया था, जबकि ‘चिटगांव’ ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता हैं.
रोमांटिक फिल्में कम मिलने पर वाजपेयी ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘ऐसा लगता है कि निर्देशक मेरे चेहरे को रोमांटिक फिल्मों के लायक नहीं समझते हैं. इसलिए ऐसे प्रस्ताव लेकर वे मेरे पास नहीं आये.’ मनोज वाजपेयी यहां ‘पाटलीपुत्र फिल्म एवं टेलीविजन अकादमी’ में एक कार्यक्रम में भाग लेने आये थे.