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साइलेंट परफॉर्मर रहे हैं मनोज सिन्हा, ईमानदारी के सर्वे में आए थे अव्वल

पूर्वांचल के एक गांव से निकलकर आईआईटी बीएचयू में पढ़ाई, छात्र राजनीति में सक्रियता, तीन बार लोकसभा के सांसद, रेल राज्यमंत्री और अब यूपी के सीएम पद की रेस में सबसे आगे दिख रहे मनोज सिन्हा की पहचान एक साइलेंट परफॉर्मर की रही है.

मनोज सिन्हा मनोज सिन्हा
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

पूर्वांचल के एक गांव से निकलकर आईआईटी बीएचयू में पढ़ाई, छात्र राजनीति में सक्रियता, तीन बार लोकसभा के सांसद, रेल राज्यमंत्री और अब यूपी के सीएम पद की रेस में सबसे आगे दिख रहे मनोज सिन्हा की पहचान एक साइलेंट परफॉर्मर की रही है. लो-प्रोफाइल रहकर काम करने वाले मनोज सिन्हा की इन्हीं खासियतों ने उन्हें यूपी सीएम पद की रेस में सबसे आगे रखा है.

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बेस्ट सांसदों में शामिल
यूपी के गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिन्हा 1999 में 13वीं लोकसभा के दौरान सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सांसदों की सूची में शामिल थे.

सबसे ईमानदार सांसद
हाल ही में हमारी सहयोगी इंडिया टुडे मैगजीन ने अपने सर्वे में मनोज सिन्हा को सात सबसे ईमानदार सांसदों में जगह दी थी.

बाकी सांसदों से अलग कैसे?
तीसरी बार पूर्वी यूपी के गाजीपुर से सांसद चुने गए मनोज सिन्हा काम के मामले में भी अलग दिखते हैं. सांसद निधि के लिए मिले पैसे का अधिकांश हिस्सा बहुत सारे सांसद खर्च नहीं कर पाते. लेकिन मनोज सिन्हा उन चुनिंदा सांसदों में से हैं जिन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के विकास के लिए अपना पूरा फंड खर्च किया.

व्यापक कार्यअनुभव
तीन बार सांसद होने के अलावा मनोज सिन्हा स्कूल ऑफ प्लानिंग की जनरल काउंसिल और ऊर्जा पर संसदीय कमेटी के भी वे सदस्य रह चुके हैं. केंद्र में संचार मंत्री के तौर पर बिहार-यूपी के कई हिस्सों में कौशल विकास और तकनीकी प्रशिक्षण पर मनोज सिन्हा ने खास फोकस के साथ काम किया.

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पिछड़े गावों पर खास फोकस
1 जुलाई 1959 को गाजीपुर के मोहनपुरा गांव में जन्मे मनोज सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं जो पहले जमींदार होते थे. मनोज सिन्हा की छवि पढ़े लिखे और सौम्य व्यवहार वाले नेता की है. खेती-किसानी के बैकग्राउंड से आने वाले मनोज सिन्हा विकास के लिए पिछड़े गांवों पर खास फोकस रखते हैं.

जानें, मनोज सिन्हा के शुरुआती जीवन के बारे में-
-मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बगल की संसदीय सीट गाजीपुर से सांसद हैं और पहले रेलवे राज्य मंत्री और अब स्वतंत्र प्रभार के तौर पर संचार मंत्रालय को संभाल रहे हैं.
-मनोज सिन्हा परफॉर्मेंस के हिसाब से पीएम मोदी के प्रिय मंत्री रहे हैं, जो चुपचाप अपना काम करने के लिए जाने जाते हैं.
-सिन्हा को मोदी और अमित शाह के प्लॉन में सबसे फिट माना जा रहा है और विकास की सड़क पर भी मनोज सिन्हा तेज चल सकते है. जो मिशन 2019 के लिए जरूरी है.
-मनोज सिन्हा तीन बार गाजीपुर से सांसद चुने गए हैं. यानी पूर्वांचल के अनुभवी नेता हैं.
-मनोज सिन्हा भूमिहार जाति से हैं, जिसका यूपी की राजनीति में ज्यादा प्रभाव नहीं है. यानी बाकी जातियों के बीच उनके चुनाव को लेकर आपसी द्वंद कम होगा.
-मनोज सिन्हा विवादों से भी दूर रहे हैं, और उनका कभी कोई विवादित बयान नहीं आया है.
-यूपी के गाजीपुर के मोहनपुरा गांव में मनोज सिन्हा का जन्म हुआ था.
-गांव के ही प्राथमिक स्कूल से पढ़ाई की शुरुआत हुई.
-गणित और विज्ञान के विषयों में उनकी खास दिलचस्पी थी. आगे की पढ़ाई जनपद के राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में हुई.
-मनोज सिन्हा के स्कूली दिनों के साथी उमाशंकर गुप्ता बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते है कि सिटी इंटर कॉलेज के दिनों में वो वीएचपी के संपर्क में आए.
-इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी पास होने के बाद मनोज सिन्हा ने बीएचयू से बीटेक की पढ़ाई की. यहां राजनीति में उनका दखल कुछ और बढ़ा, और 1982 में वो बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए.
-पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की बजाय राजनीति में आ गए. पढ़ाई के दौरान मनोज सिन्हा का परिवार वाराणसी आ गया था, इसलिए वाराणसी से भी उनका गहरा लगाव है.
-मनोज सिन्हा को राजनीति में अपने पिता से विरासत में मिली उनके पिता स्कूल में प्रिंसिपल थे लेकिन समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय रहते थे.
-मनोज सिन्हा ने गाजीपुर में रेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए काफी काम किया है.

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