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लगता है लॉकडाउन खत्म होगा फिर ऋषि-इरफान-सुशांत लौट आएंगे: मनोज वाजपेयी

मनोज वाजपेयी ने कहा कि उन्हें सब कुछ एक बुरे सपने जैसा लग रहा है. वे बोले, मुझे ऐसा लग रहा है कि ये सब रियलिटी नहीं है, कुछ और ही है. मुझे तो लग रहा है कि लॉकडाउन खत्म होगा तो ऋषि जी, इरफान और सुशांत वापस शायद लौट आएंगे.

मनोज वाजपेयी और सुशांत सिंह राजपूत मनोज वाजपेयी और सुशांत सिंह राजपूत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:49 AM IST

बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत के अचानक दुनिया छोड़ देने से हर कोई हैरान है. फैंस से लेकर इंडस्ट्री के कई सितारे एक बेहद टैलेंटेंड स्टार के चले जाने से सकते में हैं और अभी तक इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि अब सुशांत उनके बीच नहीं है. हाल ही में एक्टर मनोज वाजपेयी ने डायरेक्टर शेखर कपूर के साथ इंस्टाग्राम लाइव पर सुशांत सिंह राजपूत के बारे में बात की है.

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मनोज वाजपेयी ने कहा कि मैंने सुशांत के साथ सोनचिड़िया में काम किया था. बहुत एनर्जी थी उसमें और वो अकेले में अपने किरदार की बारीकियों को समझने की कोशिश करता रहता था. वो स्पेस, एस्ट्रोनॉमी, तारों की दुनिया, ब्रह्मांड, एस्ट्रोफिजिक्स, क्वांटम फिजिक्स जैसे कई गंभीर विषयों पर बात करता था. उसके बाद इन विषयों से जुड़ी कई किताबें भी थीं. फिर उसने एक एडवांस टेलीस्कोप भी खरीदा हुआ था और वो उससे आसमां को देखा करता था. इतनी पॉजिटिविटी थी उसमें, बच्चों जैसी उत्सुकता थी और मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि वो ऐसे हमें छोड़ कर चला गया है.

मनोज ने ये भी कहा कि उन्हें सब कुछ एक बुरे सपने जैसा लग रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि ये सब रियलिटी नहीं है, कुछ और ही है. विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हम चंद महीनों में ऐसे शानदार कलाकारों को खो चुके हैं. मुझे तो अब भी लग रहा है कि लॉकडाउन खत्म होगा तो ऋषि जी, इरफान और सुशांत वापस शायद लौट आएंगे.

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सबकी अपनी-अपनी यात्रा होती है: मनोज

उन्होंने आगे कहा कि लोग उसके जाने के साथ ही गुस्से में हैं, कई लोग सदमे में हैं. दरअसल उन्हें लग रहा है कि उनके बीच का कोई चला गया जो उनका प्रतिनिधित्व करता था. एक छोटे शहर का लड़का जो बॉलीवुड में स्टारडम हासिल करने में कामयाब रहा, उसका इस तरह दुनिया छोड़ कर चले जाना लोगों को रास नहीं आ रहा है. लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि कुछ लोग होते हैं जो साल दर साल लगातार संघर्ष करते रहते हैं वहीं कुछ लोग बेहद संवेदनशील भी होते हैं और सबकी अपनी-अपनी यात्रा होती है और सबकी यात्राओं का सम्मान किया जाना चाहिए.

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