Advertisement

हिमस्खलन ने एक साल में ली 17 सैनिकों की जान, सियाचिन में भी जवान शहीद

सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र माना जाता है, जहां भारतीय सेना के जवान दुश्मन की बुरी नजर से देश की रक्षा करते हैं. ये एक इलाका भी है जहां हमेशा जमाने वाली ठंड पड़ती है और अक्सर यहां बर्फीले तूफान आते रहते हैं और हिमस्खलन भी होता रहता है. कई बार जवान भी ऐसी घटनाओं की चपेट में आकर शहीद हो जाते हैं.

हिमस्खलन से 2019 में 17 जवानों की मौत (फोटो- IANS) हिमस्खलन से 2019 में 17 जवानों की मौत (फोटो- IANS)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:16 AM IST

  • पहाड़ी इलाकों में 17 जवानों की मौत
  • हिमस्खलन से हुई इन जवानों की मौत
  • सरकार ने संसद में दी मौत की जानकारी

दुर्गम पहाड़ी इलाकों में देश की रक्षा के लिए तैनात रहने वाले सैनिकों को बेहद मुश्किलों को सामना करना पड़ता है. कई बार उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के चलते भी जान गंवानी पड़ती है. ऐसी ही एक जानकारी सामने आई है जिसके मुताबिक साल 2019 में हिमस्खलन से 17 जवानों की मौत हुई है. सियाचिन में भी ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं.

Advertisement

यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी है. सोमवार (3 जनवरी) को एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने बताया कि 2019 में पहाड़ी इलाकों में हिमस्खलन के चलते 17 सैनिकों की मौत हुई है. नाईक ने अपने जवाब में बताया कि जम्मू-कश्मीर के सबसे दुर्गम इलाकों में शामिल सियाचिन में इस दौरान 6 जवानों की मौत हुई है. सियाचिन एक ऐसा इलाका है जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहा जाता है. यहां का तापमान हमेशा जमा देने वाला होता है.

कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

इस बीच आई कैग रिपोर्ट में सियाचिन को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि सियाचिन में जवानों को जरूरत के मुताबिक कपड़े, जूते, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज नहीं मिले हैं. यहां तक कि रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है.

Advertisement

CAG रिपोर्ट में खुलासा- सियाचिन में जवानों को जरूरत के मुताबिक नहीं मिल रहा खाना-कपड़े

जरूरी सामानों की यह तंगी साल 2015-16 से लेकर 2017-18 के बीच आई. इसके संदर्भ में रक्षा मंत्रालय ने मार्च 2019 में जवाब भी दिया था. रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया था बजट की तंगी और सेना की जरूरतों में इजाफे के चलते सैनिकों को इस परेशानी का सामना करना पड़ा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement